
रायपुर. साक्षरता अभियान के अंतर्गत हुई परीक्षा में गुरुवार को अलग ही नजारा देखने काे मिला। कहीं सास-ससुर अपनी बहु के साथ परीक्षा देने पहुंचे तो कई जगहों में माताएं अपने बच्चों के साथ परीक्षा देने पहुंची। साक्षर बनने की लोगों में इतनी अधिक ललक थी कि कई अपनी मजदूरी छोड़कर बारिश में भी परीक्षा केंद्र पहुंचे। साक्षरता अभियान के अंतर्गत प्रदेश से ढाई लाख लाेगों को परीक्षा में शामिल होना था, लेकिन 50 हजार लोगों ने परीक्षा नहीं दी। राज्य में बनाए गए 25 हजार परीक्षा केंद्र में 2 लाख लोगों ने परीक्षा दी। प्रश्नपत्र में अक्षर ज्ञान के साथ ही साथ गणितीय काैशल से भी जुड़े सवाल थे। परीक्षा सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चली। परीक्षार्थियों को अपनी सुविधानुसार तीन घंटे चयनित करने की छूट दी गई थी। कई जगहों में परीक्षा दिलाने पहुंचे लोगों का स्वागत भी आरती-तिलक से किया गया। जो परीक्षार्थी केंद्र तक नहीं पहुंचे, उन्हें फोन करके भी बुलाया गया।
बच्चे संभालने में भी मदद श्याम लाल बंजारे और शिवकुमारी बंजारे साक्षरता केंद्र में साथ-साथ पढ़कर महापरीक्षा में साथ-साथ शमिल हुए। मस्तूरी विकासखण्ड के लिमतरा केंद्र में पति-पत्नी के साथ उनकी दो बहुओं ने भी परीक्षा दी। इस दौरान वे अपनी बहुओं की मदद करते हुए बच्चे भी संभालते रहे। कुछ केंद्रों में माताएं अपने बच्चों को साथ लेकर पहुंचीं। दूधमुंहे बच्चे होने के कारण पूरे वक्त बच्चे को संभालने के साथ परीक्षा भी दिलाई। पहले कहा था, इतनी उम्र में पढ़कर क्या करूंगा? दुर्ग के ग्राम नंदकटठी के रहने वाले 70 वर्षीय कनक यादव ने शिक्षकों के पहुंचने पर पहले साफ मना किया था कि इतनी उम्र में मैं पढ़ाई करके क्या करुंगा, लेकिन प्रेरित करने के बाद वे पढ़ने के लिए आगे आए। साक्षरता केंद्र में सबसे पहले पहुंच जाते थे। वे पढ़ने के साथ-साथ लिखना भी सीख गए हैं और हस्ताक्षर भी कर लेते हैं।
मजदूरी छोड़कर आए रायपुर में इस परीक्षा के लिए 11 केंद्र बनाए गए थे। इनमें से एक प्राथमिक शाला अमलीडीह के प्राचार्य हरीश कटारे ने बताया कि कई लोग अपनी मजदूरी छोड़कर परीक्षा देने आए थे तो कुछ लोग आधे दिन की छुट्टी लेकर आए। वे सबसे पहले परीक्षा केंद्र में आए तथा तीन घंटों तक पर्चे हल करते रहे। कुछ सवालों को समझने में उन्हें वक्त भी लगा, लेकिन उन्होंने सभी सवाल हल कर लिए।