सिद्धेश्वर धाम बरगढ़ में देर रात्रि तक कविताओं के सुर-लय-ताल में झूमते रहे श्रोता

खरसिया/सुधीर चौहान:- अंचल के सुप्रसिद्ध सिद्धेश्वर धाम बरगढ़ में महाशिवरात्रि पर्व के सुअवसर पर विराट हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
देवों के देव महादेव के महापर्व पर क्षेत्र की जनता शिव निनाद करती शानदार कवि सम्मेलन की गवाह बनी। छत्तीसगढ़ के नामचीन साहित्यिक हस्तियों से सुशोभित मंच ने सिद्धेश्वर धाम में कवि सम्मेलन की जोरदार नीव गाड़ दी।
शब्दों के तबला, मांदर, मृदंग, झांझ से महाकाल की जब साहित्यिक आराधना हुई तो श्रोताओं को ठंडी पुरवाई और रात्रि की तरुणाई की परवाह नहीं रही। साहित्यकारों द्वारा अपनी रचनाओं से सिद्धेश्वर धाम मंदिर परिसर को झनंकृत किया जाता रहा और श्रोता आह और वाह के बीच वंश मोर वंश मोर ध्वनि धार की करतल बरसात करते रहे।
विराट कवि सम्मेलन की शुरुआत कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही श्रीमती अर्चना सिदार जी (बीडीसी क्षेत्र क्रमांक 10 सभापति जनपद पंचायत खरसिया), विशेष आमंत्रित अतिथि राकेश नारायण बंजारे (युवा लेखक, वक्ता एवं सामाजिक चिंतक), सूत्रधार पुरुषोत्तम प्रसाद गुप्ता (समन्वयक छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग जिला -रायगढ़), कार्यक्रम संयोजिका कवयित्री प्रियंका गुप्ता ‘प्रिया’ तथा उपस्थित कवियों के द्वारा भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के साथ की गई। तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत अभिनन्दन किया गया।
कार्यक्रम के सूत्रधार पुरुषोत्तम गुप्ता ने सभी अतिथियों एवं साहित्यकारों का औपचारिक परिचय कराया।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही श्रीमती अर्चना सिदार में संक्षिप्त उद्बोधन में क्षेत्र में साहित्यिक गतिविधियों के आगाज के लिए साहित्यकारों को बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित किए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्र में सतत् साहित्यिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक गतिविधियों चलती रहनी चाहिए।
संचालन का दायित्व निर्वहन कर रहे सुप्रसिद्ध कवि श्री रामानन्द त्रिपाठी (हास्य व्यंग्य कवि बेमेतरा) ने सर्वप्रथम मां शारदे की स्तुति के लिए घरघोड़ा की सुप्रसिद्ध कवयित्री रुक्मिणी सिंह राजपूत को आमंत्रित किया जिन्होंने सरस्वती वंदना से मां की आराधना की।
कवि सम्मेलन की विधिवत आगाज के लिए खरसिया क्षेत्र के घघरा निवासी गीतकार लखन लाल राठौर को मंच सुपूर्द किया गया। कवि लखन ने अपनी छत्तीसगढ़ी गीतों के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच छत्तीसगढ़ी ओज कवि श्री ईश्वर साहू ‘आरूग’ ने काव्य कमान संभाली। उन्होंने ओज पूर्ण रचनाओं से कविताओं का तांडव और मेघ गर्जन का एहसास कराया। पुनः श्रृंगार कवयित्री श्रीमती रूक्मणी सिंह राजपूत ने गीत गजल की सुहानी छटा बिखेरी। बिलाइगढ़ से पधारे सुप्रसिद्ध गीतकार और मंच संचालक कवि श्री शशिभूषण स्नेही ने छत्तीसगढ़ी गीत मुक्तकों की ऐसी झड़ी लगाई कि श्रोताओं को एहसास ही नहीं हुआ कि कब रात्रि के तीसरे पहर की शुरुआत हो गई है। हास्य के परमाणु बम के नाम से विख्यात नांदघाट के श्री कृष्णा भारती ने ठहाकों की महफ़िल सजा दी। रही सही कसर पुटकापुरी से पधारे आशु कवि श्री जमुना प्रसाद चौहान ने पुरी कर दी। जिससे श्रोता हास्य व्यंग के समुद्र में गोते लगाते रहे। कार्यक्रम संयोजिका सुप्रसिद्ध कवयित्री प्रियंका गुप्ता ‘प्रिया’ ने गीत गजल मुक्त से खूब वाहवाही लूटी। क्षेत्र की बहु को जनता ने निराश नहीं किया और भरपूर उत्साह से अपना आशिर्वाद प्रदान किया। बरमकेला से पधारे युवा कवि श्री कमलेश यादव ने साज श्रृंगार सौंदर्य और सादगी पर अपनी बात रखी। उनके काव्य पाठ से युवाओं का उत्साह देखते ही बनता था। खरसिया के ही नवोदित कवि श्री महेंद्र राठौर ‘राज’ ने अपनी छंद बद्ध रचनाओं से विशेष प्रभाव छोड़ा। उन्हें श्रोताओं का खुब मया दुलार और प्रोत्साहन मिला। मंच संचालन कर रहे सुप्रसिद्ध कवि रामानंद त्रिपाठी ने अपनी हास्य व्यंग रचनाओं से विशेष मन मोहा और कार्यक्रम को सर्वोच्च ऊंचाई प्रदान किया।
कार्यक्रम के अंत में विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में पधारे राकेश नारायण बंजारे (युवा लेखक , वक्ता एवं सामाजिक चिंतक) को अपने उद्बोधन के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने खरसिया क्षेत्र में साहित्यकारों के आगमन के लिए उनका आभार व्यक्त किया। महाशिवरात्रि पर्व के सुअवसर पर उन्होंने शिवशंकर से मानव मन के अहंकार को नष्ट कर प्रेम और सद्भाव की गंगा बहाने के लिए प्रार्थना किया।
विराट कवि सम्मेलन के आयोजकगणों में श्री जयप्रकाश डनसेना (पत्रकार, दैनिक भास्कर) एवं श्री डुलेंद्र जायसवाल (सदस्य, जय सिद्धेश्वर नाथ समिति बरगढ़) तथा सत्येन्द्र जायसवाल एवं मंदिर परिसर के सहयोगियों का विशेष सहयोग रहा।
कार्यक्रम के समापन पर सभी साहित्यकारों को भेंट व स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। कार्यक्रम के सूत्रधार पुरुषोत्तम गुप्ता द्वारा सभी साहित्यकारों एवं अतिथियों का आभार व्यक्त किया गया।

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