
सुहागिनों ने किया पति के लंबी उम्र के लिए करवा चौथ व्रत…. भारी बारिश में भी हुआ चांद का दीदार




सुहागिनों ने दिनभर निर्जला व्रत रखा। करवा चौथ पर्व को लेकर महिलाएं सुबह से ही उत्साहित नजर आ रही थीं। दिनभर दुल्हन की तरह सजी रहीं। शहर से लेकर गांवों के मंदिरों और धार्मिक स्थलों में सामूहिक कथा का आयोजन किया गया। महिलाओं ने पहले करवा चौथ की कहानी सुनी और शुभ मुहूर्त में करवे की पूजा, अर्चना की। रात 8 बजकर 31 मिनट पर आसमां पर चांद दिखा। व्रतियों ने चांद को अर्घ्य देकर विधि-विधान से व्रत संपन्न किया। सुहागिनों ने छलनी से चांद का दीदार किया। इसके बाद विधिवत पूजा-अर्चना कर पति का आशीर्वाद लिया।
सुहागिनों ने अपने सुहाग की सलामती के लिए करवा चौथ का व्रत रखा। महिलाओं ने करवा चौथ व्रत रख पति की लंबी आयु एवं सौभाग्य प्राप्ति की कामना की। गुरुवार सुबह भगवान गणेश, शिवजी, माता पार्वती और कार्तिक का पूजन के साथ व्रत की शुरुआत की गई। साथ ही मिट्टी का करवा सजा कर उसमें पानी भर कर रखा गया। दिन भर निर्जला रहकर महिलाओं ने शाम को शुभ मुहूर्त में करवा चौथ की कथा सुनी। शहर में कई मंदिरों व घरों में सामूहिक कथा का आयोजन किया गया। सुहागिनों ने विधिवत पूजा-अर्चना कर रात को चांद निकलने पर अर्घ्य देकर पति का आशीर्वाद लिया।
सुहागिनों ने इसके बाद अपने बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया। कथा के अनुसार बताया जाता है कि रानी वीरावती ने शादी के बाद इस व्रत को किया था। व्रत में चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही खाना खाने का रिवाज है। उन्हें इस व्रत को करने में कठिनाई हो रही थी। ऐसे में उनके सात भाइयों ने अपनी अकेली बहन वीरावती का भूखा रहना देखा नहीं गया, उन्होंने धोखे से उसका व्रत तुड़वा दिया। जिससे उनका पति बीमार हो गया और उसकी मृत्यु हो गई। देवी पार्वती के कहने पर वीरावती ने करवा चौथ का व्रत कर अपने पति का जीवन दोबारा पाया था।
इस बार खास रहा त्योहार
ज्योतिषाचार्य पंडित क्रांति निर्मल शास्त्री के अनुसार इस बार इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि चंद्रमा की 27 नक्षत्र रूपी पत्नियों में रोहिणी उन्हें सर्वाधिक प्रिय है, ऐसे में चंद्रमा सहित रोहिणी का पूजन करना विशेष फलदायक है।