
बेमेतरा/छत्तीसगढ़
दफ्तरों में नहीं है अधिकारी बाबू लोग शासकीय काम के लिए भटक रहे…..।
बच्चे स्कूल में खेलते नजर आते हैं बच्चों की संख्या स्कूल में बहुत ही कम…..।
शिक्षा के नाम पर प्रदर्शन का खेल कब तक…..।
वादे से मुकरते प्रदेश सरकार…..।
अधिकारी कर्मचारी शिक्षकों की संयुक्त धरना…..।
प्रदेश सरकार के लिए बनी गले की फांस…..।
कोरोना से भी घातक यह प्रदर्शन का खेल…..।
प्रदेश सरकार की शिक्षा में लचर व्यवस्था…..।
प्रदेश में शासकीय स्कूल के बच्चों के भविष्य अंधकार में…..।
पूरा मामला बेमेतरा जिला के शासकीय दफ्तरों सहित शासकीय स्कूलों का है। जहां पर शिक्षा विभाग से लेकर शिक्षक शिक्षिका व अधिकारी कर्मचारी धरने पर बैठे है। वही शासकीय स्कूली बच्चे खेलते नजर आ रहे हैं वहीं स्कूलों में बच्चों की संख्या नही के बराबर है। दफ्तरों में भी नजर नहीं आ रहे अधिकारी बाबू शासकीय कार्य के लिए आने वाले लोगों को भटकना पड़ रहा है।
सरकारी अधिकारी कर्मचारियों के बच्चे निजी स्कूलों के हाईप्रोफाइल विद्यालय पर अध्ययनरत है। वही सरकारी कर्मचारी सरकारी दफ्तरों पर ताला जड़कर बच्चों के भविष्य को अंधकार में कर रहे हैं। देश के भावी पीढ़ी कहे जाने वाले बच्चे को शिक्षा से इस तरह वंचित किया जा रहा है। यह सोची समझी रणनीति का एक हिस्सा है। जिससे गरीब बेबस लाचार पलकों के बच्चों के शिक्षा से कोसों दूर करते हुए अज्ञानता की ओर धकेलने का यह प्रयास है काफी हद तक सार्थक होते नजर आ रहा है। आखिर जिम्मेदार प्रदेश सरकार स्कूली बच्चे एवं आम जनता की समस्याओं को निजात दिलाने के लिए धरने पर बैठे अधिकारी कर्मचारियों का एचआर और डीए भत्ता देने को मंजूर हो जाएंगे। या फिर मात्र प्रदर्शन का यह खेल अनिश्चित काल तक चलता रहेगा यह प्रदेश सरकार का निर्णय ही बात को जाहिर करेगा।