स्कूल से कॉलेज पहुंच गए, नहीं मिली छात्रवृत्ति

धमतरी. शिक्षा विभाग के खाते में 20 लाख रुपए से ज्यादा राशि पड़ी हुई है। इसके बाद भी पिछले 7 साल से मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं दी जा रही है। इन 7 साल में चार अधिकारी आए, चारों ने शासन को पूर्ण उपयोगिता प्रमाण पत्र भी दे दिया। छात्रों के इस रुपए में हर साल ब्याज बढ़ता जा रहा है, लेकिन छात्रों को उनका अधिकार देने में अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं। मामला है गणित विज्ञान प्रोत्साहन छात्रवृत्ति का। इस योजना के तहत कक्षा 10वीं में गणित और विज्ञान में 70 प्रतिशत से अधिक अंक लेकर पास होने वाले छात्रों को प्रोत्साहन के रूप में 11वीं और 12वीं कक्षा में 24-24 सौ रुपए की छात्रवृत्ति दी जाती है, ताकि वह और बेहतर ढंग से पढ़ाई कर सके। शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते पिछले 7 साल से छात्रों को यह छात्रवृत्ति नहीं दी गई है। इन 7 साल में 300 से अधिक छात्र गणित और विज्ञान में 70 प्रतिशत से अधिक अंक लेकर पास हुए हैं। इस संबंध में इस योजना के प्रभारी अधिकारी एलआर मगर से जानकारी मांगी गई, लेकिन उन्होंने इस संबंध में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।
मेहनत पर फिरा पानी छात्रवृत्ति के लिए पात्र अधिकांश छात्र स्कूल से निकलकर कॉलेज पहुंच गए हैं। कई तो कॉलेज भी पास हो चुके हैं। सालभर पहले जब अधिकारियों को इस चूक का पता चला तो उन्होंने सभी प्राचार्यों को जिला शक्षिाधिकारी कार्यालय बुलाकर छात्रों की जानकारी एकत्रित करने के निर्देश दिए। कोरोना काल में प्राचार्यों को बुलाए जाने पर जमकर बवाल भी मचा था। उधर स्कूल स्टाफ ने छात्रों को ढूंढ-ढूंककर निकाला। बैंक खाता भी दुरुस्त करवाए गए लेकिन छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं दी गई। इतनी बड़ी चूक जिम्मेदार कौन वर्ष 2014 से छात्रवृत्ति पेंडिंग पड़ी हुई है। ऐसा नहीं है कि छात्रवृत्ति देने के लिए विभाग के पास रुपए नहीं है। मेधावी छात्रवृत्ति के लिए विभागीय खाते में 20 लाख रुपए से अधिक पड़े हुए हैं। इस अवधि में चार जिला शिक्षाधिकारी ने पदभार सम्हाला। खाते में राशि जमा होने के बाद भी सभी ने शासन को पूर्ण उपयोगिता प्रमाण पत्र दे दिया। इस लीपापोती के खिलाफ आवाज उठाते हुए छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

दोषियों पर हो कार्रवाई यह मामला शासकीय राशि के दुरुपयोग है। यदि समय पर छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती तो यह राशि उनके शिक्षा में उपयोग होता। खाते में राशि जमा रहने के बाद भी पूर्ण उपयोगिता प्रमाण पत्र देना अधिकारियों की लापरवाही है। इस मामले में सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। – राजेंद्र चंद्राकर, अध्यक्ष छग तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ गंभीरता से होगा काम यह मामला शिक्षा विभाग से जुड़ा हुआ है। यदि छात्रों का अहित हो रहा है तो इस मामले को गंभीरता से लिया जाएगा। जानकारी लेकर छात्रों को छात्रवृत्ति दिलाई जाएगी।

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