
जशपुरनगर 06 अगस्त 2021/जिला एवं सत्र न्यायाधीश व अध्यक्षा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जशपुर श्रीमती अनिता डहरयिा के मार्गदर्शन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जशपुर के सचिव श्री अमित जिंदल ने बताया कि विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत स्थाई लोक अदालत की स्थापना की जाती है। राज्य में बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, जगदलपुर एवं अंबिकापुर में स्थाई लोक अदालत है। निकट में अम्बिकापुर में स्थाई लोक अदालत की स्थापना है। इस लोक अदालत में जनोपयोगी सेवाओं से संबंधित प्रकरण जैसे परिवहन, डाक, फोन, बिजली, पानी, प्रकाश, स्वच्छता अस्पताल, बीमा, बैंकिंग अन्य वित्तीय संस्थाएं ईंधन आपूर्ति, शिक्षा एवं शिक्षण संस्थाएं, आवास एवं भू-संपदा से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की जाती है।
श्री अमित जिन्दल ने बताया कि अनेक बार इस प्रकार की सेवाओं में कमी के कारण पीड़ित पक्षकार संबंधित संस्थाओं में चक्कर काटते रहते हैं, जहां पर उनकी सुनवाई नहीं होती है और थक हारकर असुविधाओं के बीच में रहने को मजबूर होते हैं। इन सेवाओं के लिए गठित उपरोक्त लोक अदालतों को सशक्त एवं प्रभावी किए जाने का आदेश कार्यपालक अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति श्री प्रशांत कुमार मिश्रा द्वारा जारी किए गए हैं। पीड़ित पक्षकार अपने जिले से संबंधित संभागीय मुख्यालय में स्थापित जनोपयोगी लोक अदालत में उपरोक्त जनोपयोगी लोक अदालत में उपरोक्त संस्थाओं के खिलाफ आवेदन बिना किसी न्याय शुल्क के आवेदन के प्रारूप को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के बेबसाइट में अथवा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जशपुर से प्राप्त कर प्रस्तुत कर सकते है।
श्री जिंदल ने प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के अनुसार यदि स्थाई लोक अदालत को लगता है कि पक्षकारों में समझौते के तत्व विद्यमान है तो वह उनको पक्षकारों के अवलोकन के लिए देकर उक्तानुसार मामले का निराकरण कर सकता है अन्यथा किसी अपराध के अलावा विवाद होने की दशा में विवाद को तय करेगा तथा लोक अदालत का पंचाट अंतिम होगा तथा सिविल न्यायालय की डिक्री का प्रभाव रूपेण निष्पादन योग्य होगा।
उन्होंने बताया के माननीय उच्चतम न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ इण्डिया बनाम भारत संघ के अपने निर्णय में स्थाई लोक अदालतो की महत्ता बताते हुए कहा कि यदि स्थाई लोक अदालत के अवार्ड, आदेश से पक्षकार संतुष्ट नही है तो भी वे माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष जा सकते है।