
धूम्रपान करने वालों में कैंसर का जोखिम होता है। यह बात सभी जानते हैं। मगर ब्रिटेन में हुए एक हालिया अध्ययन की मानें तो न सिर्फ धूम्रपान करने वालों में, बल्कि उनके साथ रहने वाले लोगों में भी मुंह का कैंसर होने का जोखिम अधिक होता है। अध्ययन के मुताबिक धूम्रपान न करने वाले अगर धूम्रपान करने वालों के साथ रहते हैं तो उनमें धुआंरहित घर में रहने वालों के मुकाबले मुंह का कैंसर होने का जोखिम 51 फीसदी तक अधिक होता है। यह बात लंबे वक्त से सब जानते हैं कि धूम्रपान से फेफड़ें, आमाशय, पेट और अन्य अंगों के साथ-साथ मुंह, गले और होठों के कैंसर का खतरा रहता है। मगर किंग्स कॉलेज लंदन के नए अध्ययन में इस बात की पुष्टि की गई है, जिसे लेकर विशेषज्ञों में लंबे वक्त से डर रहा है। पैसिव या सेकंड-हैंड स्मोकिंग भी व्यक्ति में ओरल कैंसर का जोखिम बड़े स्तर पर बढ़ाती है।सिगरेट, पाइप और सिगार के धुएं का पैसिव इन्हलैशन से स्वास्थ्य को होने वाले खतरे कई वर्षों से स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए चिंता का विषय हैं। मगर पहले के अध्ययनों में पाया गयै कि सेकंड-हैंड स्मोकिंग फेफड़े के कैंसर का कारण बन सकती है, लेकिन यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है जिसमें ओरल कैंसर और पैसिव स्मोकिंग के बीच संबंध को खोजा गया है। हर साल लगभग पांच लाख मौखिक कैंसर का पता चलता है, जिसमें 8,300 ब्रिटेन में शामिल हैं। तंबाकू का धुआं, जो कार्सिनोजेन्स से भरा होता है, इसे दुनियाभर में कैंसर से होने वाली पांच मौतों में एक से जोड़ा गया है। बच्चे भी प्रभावित
प्रत्येक तीन वयस्कों में से एक वयस्क और 40 प्रतिशत बच्चे धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के आसपास होने के कारण ‘अनैच्छिक धूम्रपान’ से पीड़ित हैं। दुनियाभर के करीब 6,900 लोगों के आंकड़ों के आधार पर खुलासा हुआ है कि सेकंड-हैंड स्मोकिंग करने वाले लोगों में ओरल कैंसर का खतरा 51 फीसदी ज्यादा होता है।अध्ययन जर्ल टोबैको कंट्रोल में प्रकाशित हुए हैं। इसमें यह भी पाया गया कि लगातार संपर्क से व्यक्ति के जोखिम में और भी इजाफा होता है। अध्ययन में कहा गया है कि जो लोग 10 से पंद्रह सालों तक धूम्रपान करने वालों के साथ एक घर में रहते हैं तो उनमें मौखिक कैंसर का जोखिम उन लोगों के मुकाबले दोगुना होता है, जो हर तरह के धुएं से बचे रहते हैं।
बच्चे भी प्रभावित
पैसिव स्मोकिंग चिंता का विषय पांच अध्ययनों के आधार पर निष्कर्ष
शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने पांच अलग-अलग अध्ययनों के आधर पर यह निष्कर्ष निकाले हैं। पैसिव स्मोकिंग के खतरनाक प्रभावों की पहचान करने वाला यह अध्ययन स्वास्थ्य पेशेवरों, शोधकर्ताओं और नीति-निर्माताओं को प्रभावी पैसिव स्मोक एक्सपोजर प्रिवेंशन प्रोग्राम विकसित करने में दिशा-निर्देश देगा।