दिनेश दुबे
आप की आवाज
हमारा भोजन कब और कैसा हो एवं कैसा लेना चाहिये
कार्यालय डेस्क — एलोपैथी में विभिन्न रिसर्च,आयुर्वेद में वात ,कफ ,पित्त प्रकृति अनुसार और नेचरोपैथी में मौसम,प्रकृति अनुसार भोजन ।
अब एक आम व्यक्ति के लिए यह तय कर पाना बड़ा मुश्किल होता है कि वह कब ,क्या और कैसा भोजन करे ।
एलोपैथ में डाइटीशियन आज अनेक को भृमित कर देता है और आयुर्वेद भोजन की व्याख्या अलग तरीके से करता है ।
एक आम भारतीय का परम्परागत और आयुर्वेद में जमा विश्वास बार बार एलोपैथ आधारित भोजन खंडित करता रहता है ।
पूर्व के जमाने में व्यक्ति दाल, रोटी खाकर भी सेकड़ो वर्ष जी लेता था ।आज हम उत्कृष्ट विज्ञान और विभिन्न शोध रिसर्च के बाद यह तय नही कर पा रहे है कि हमे क्या कब और कैसे खाना है ।
बाजार फ़ूड आइटम से भरा पड़ा है ।
फ़ूड पर सरकार द्वारा नियम भी बनाये गए ।
किन्तु फ़ूड की शुद्धता निश्चित करना सम्भव नही हो पाया ।
अकेले भारत मे 8 करोड़ लोग डाइबिटीज के शिकार हो चुके है जो फार्मा इंडस्ट्री और डॉक्टर के लिए बहुत बड़ा बाजार बन गया है ।अब मजदूर और बच्चे भी इसकी गिरफ्त में है
वास्तव में देखा जाय तो अच्छा और पौष्टिक भोजन अनेक रोगों से हमारी सुरक्षा कर सकता है न नियमित जिम की जरूरत है न योग व्यायाम की ।
किन्तु यह भोजन क्या हो ।
इसे तय करे कौन ?
आम व्यक्ति दो वक्त की रोटी की जुगाड़ भले ही न कर पाए किन्तु दवाओं के नाम पर सरकार से लगाकर परिवार तक प्रभावित होकर बर्बाद होते चले जा रहे है ।
देश मे शुद्ध जल एक समस्या बन गया है नगर पालिका ,नगर निगम और विभिन्न सिस्टम आज 7.4पी एच लेबल का आदर्श पानी उपलब्ध नही करा पा रहे है ,नलों से निकलने वाला पानी स्टोरेज, टँकीयो और खराब ड्रेनेज सिस्टम का शिकार होता हुआ कैसे आता है सबके अनुभव अलग अलग है । बाजार में विभिन्न मानकों की चिल्ड वाटर की केन खूब दौड़ लगा रही है ।
फलों की बात करे तो स्वास्थ्य के हिसाब से सबसे सुलभ फल केला ,पपीता ,सेवफल पकाने, दिखाने के चक्कर मे आजकल पूरी तरह से पैसा कमाने का हथियार बन लोगो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है ।
एक्सरसाइज के लिए भले ही कितने ही भाषण दिए जाएं आजकल हर युवा जिम संस्क्रति का शिकार हो चुका है ।
फिटनेस एक्सपर्ट द्वारा बताये गए प्रोटीन का बाजार युवाओ में बूम पर है ।
क्या यह प्रोटीन स्वास्थ्य के लिए अनुकूल है इसे कौन निर्धारित करेगा ।
ज़िम में जाने वाले युवाओ के भोजन का मीनू 2 रोटी पर भले ही सिमट गया हो किन्तु बाजार की चाट पकोड़ी हर व्यक्ति की सेहत को बिगाड़ कर बेडौल शरीर का निर्माण कर रही है ।
भारत खाद्य तेल का बहुत बड़ी मात्रा में आयात करता है यह तेल रिफाइंड होकर किसी भी तरह से स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद नहीं है किंतु हम यह नही समझा पा रहे है कि बगैर तेल के बनाया भोजन भी स्वादिष्ट और लाभप्रद हो सकता है ।
सरकार ने स्वस्थ और पौष्टिक भोजन के लिए अभियान चलाना चाहिए ।
किन्तु क्या शराब और विभिन्न प्रकार के व्यापार में सलग्न सरकार आम व्यक्ति के हित मे ,स्वस्थ जनता, समृद्द भारत निर्माण के बारे में सोचगी इसमे संशय है ।
यदि हम केवल भोजन को दुरस्त कर ले तो अनेक रोगों ,दवाइयों,कष्टों से मुक्ति संभव है ।