छत्तीसगढ़

हरेली त्यौहार आज, मुख्यमंत्री निवास में रहेगी रौनक….होंगे विभिन्न आयोजन

रायपुर। हर साल की तरह इस साल भी हरेली तिहार पर मुख्यमंत्री निवास में रौनक देखने को मिलेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसान भाईयों के साथ इस पर्व को धूमधाम से मनाएंगे। प्रदेश के इस पावन पर्व पर राज्य सरकार कई नवाचारों का भी आगाज करेगी। छत्तीसगढ़ में हरेली पर्व का विशेष महत्व है। यह पर्व छत्तीसगढ़ी संस्कृति और परंपरा के साथ पर्यावरण के महत्व को भी दर्शाता है। इस दिन किसान कृषि कार्य में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों और औजारों की सफाई कर उनकी पूजा अर्चना करते हैं। कृषक परिवारों में तरह-तरह के छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाए जाते हैं। प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद से हरेली पर्व को लेकर प्रदेशवासियों में उत्साह और बढ़ गया है। इसका कारण यह है कि राज्य सरकार ने हरेली पर्व से लोगों के जुड़ाव को देखते हुए इस दिन अवकाश की घोषणा कर दी है, ताकि लोग पूरे आनंद के साथ इस पर्व को मना सके और सरकार की मंशा के अनुरूप ऐसा हो भी रहा है। अब हरेली पर्व पर गांव की गलियों और चौपाल से लेकर शहरी क्षेत्रों में भी लोग परंपरा के अनुरूप नारियल फेंक प्रतियोगिता गेड़ी चढ़ते देखे जा सकते हैं, वहीं महिलाएं सुआ, कर्मा, ददरिया, फुगड़ी करते दिखती हैं। हरेली त्योहार को लेकर लोगों में उत्साह बढ़ने का एक और कारण यह है कि अब इस पर्व को प्रदेश के मुखिया श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप बड़े स्तर पर मनाया जाने लगा है, जिसमें खुद मुख्यमंत्री और सरकार के मंत्री शामिल होते हैं। हर साल मुख्यमंत्री निवास में बड़ा आयोजन किया जाता है, जिसमें मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल किसान भाइयों और आम जनता के साथ शिरकत करते हैं। मुख्यमंत्री श्री बघेल परंपरागत तरीके से कृषि उपकरणों और औजारों के साथ गाय-बैल की भी पूजा-अर्चना करते हैं। इस साल भी हरेली पर्व पर मुख्यमंत्री निवास में इस तरह के आयोजनों की जोर-शोर से तैयारी चल रही है। कई नए कल्याणकारी काम होंगे शुरू हरेली के पावन पर्व पर परंपरागत आयोजनों के अलावा इस साल भी राज्य सरकार के कई नए कामों का आगाज होने वाला है- गौमूत्र की खरीदी शुरू करेगी सरकार राज्य सरकार गोधन न्याय योजना के तहत अब गोबर के अलावा गौमूत्र की खरीदी भी हरेली पर्व से शुरू करने जा रही है। इस पर्व पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड के करसा गांव से गौमूत्र की खरीदी का शुभारंभ करेंगे। राज्य सरकार चार रूपये प्रति लीटर की दर से गौमूत्र की खरीदी करेगी। जिस तरह से गोबर से जैविक खाद बनाकर बेचा जा रहा है, उसी तरह से गौमूत्र से जैविक कीटनाशक बनाकर गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से बेचा जाएगा।

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