12 करोड रुपए का व्यारा- नारा, कंपनी मलिक ने शासन से बगैर अनुमति किया वित्तीय लेनदेन, रकम न लौटने पर हो सकता है अपराध पंजीबद…!

बिलासपुर – न्यायधानी में निवेश के नाम पर आम जनता की गाढ़ी कमाई को योजनाबद्ध तरीके से डकार लिया गया. खबर है कि रकम वापसी के लिए लंबे समय से लोग कंपनी मालिक के दफ्तर का चक्कर लगा रहे है. इसी बीच रकम वापसी को लेकर दो निवेशकों के बीच आपसी विवाद हो गया. जो कि यह विवाद कंपनी के कार्यालय से निकलकर थाना जा पहुंचा है. जिसके बाद मामला मीडिया के संज्ञान में आया.

इस करोड़ों रुपए व्यारा न्यारा के मामले पर पीड़ित के नाम न छापने की शर्त पर पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि विगत कुछ दिनों पूर्व जिला जांजगीर चांपा के थाना से जिला बिलासपुर निवासी महिला जो कि स्वास्थ्य विभाग पर बतौर संविदा में एक छोटे से पद पर कार्यरत है. फोन करने वाले व्यक्ति ने उसे कहा जाता है किआपके खिलाफ आपकी मित्र महिला ने पैसे के लेनदेन को लेकर शिकायत किया है. आप थाना आकर अपना बयान दर्ज कराइये. जिस पर अनावेदक महिला ने जिला जांजगीर-चांपा जाकर अपना पक्ष रखा. इसी दरमियां मौके पर मौजूद प्रार्थी महिला एवं अनावेदक महिला के बीच कहा सुनी हो गई और यह तय हुआ कि मंगला चौक जिला बिलासपुर में स्थित संस्था के मुख्य कार्यालय पर आकर आपसी समझौता किया जाएगा. बताया जा रहा है कि बैठक के बाद अनावेदक महिला ने अपने निजी खाते से लाखों रुपय लौटा दिया. जिसके बाद कुछ दिनों तक मामला शांत रहा. लेकिन बाकी रकम लौटने की बात को लेकर दोनों महिला मित्र के बीच विवाद हो गया. अब मामला बिलासपुर जिला शहर से लगे एक ग्रामीण थाना में पहुंच चुका है.

कंपनी मलिक ने निवेशकों से 12 करोड रुपए से अधिक राशि का कराया निवेश, रकम वापसी को लेकर किया जा रहा टालमटोल……

देश में युवाओं के लिए बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. दूसरी ओर युवा कम समय में अधिक पैसे कमाने की चाह रखते हैं. इस वजह से वह गलत दिशा (अपराध की दुनिया) में चल पड़ते हैं. ऐसा ही मामला जिला बिलासपुर में सुनने को मिल रहा है. बताया जा रहा है कि वर्ष 2020 जिला बिलासपुर में मंगला चौक के पास महज 25 वर्ष का एक युवक ने ऑफिस खोला. जिसमें लोगो को बैठकर लाखों, करोड़ों कमाने का ख्वाब दिखाके उनसे अपनी कंपनी में करोड़ों रुपए कि राशि जमा करा लिया. अब जब रकम लौटाने की पारी आई तब स्टांप पेपर पर लिखा पड़ी देकर ग्राहकों से समय मांग लिया. इसके बाद मुसीबतें और बढ़ गई. चुकी मामला अब एक्सपोज हो चुका है.

बताया जा रहा है कि कंपनी मालिक ने एक स्टांप पेपर पर नोटरी करके 159 निवेशकों को राशि 12 करोड़ 52 लाख 70 हजार रुपए लौटने का आश्वासन दिया है. मीडिया ने सत्यता जानने के लिए मंगला चौक स्थित उक्त कार्यालय पर जाकर कंपनी मालिक से चर्चा किया तब उन्होंने भी स्वीकार की मैंने स्टांप पेपर पर लिखा पड़ी करके दिया है और वह राशि को 18 से 24 माह के बीच अनिवार्य रूप से चुका दूंगा. यहां पर सवाल उठता है कि जो व्यक्ति 25 वर्ष की आयु में कार्य शुरू करके 4 साल कंपनी चलाने के बाद निवेशकों को रुपए लौटा नहीं पाया. अब ऐसी कौन सी खजाने की चाबी उसके हाथ लग गई है जो अब निवेशकों को इतनी बड़ी राशि वापस करेगा.

वित्तीय लेनदेन करने राज्य सरकार के रजिस्ट्रार ऑफ चिट्स से नहीं लिया अनुमति…..!

मीडिया से चर्चा के दौरान उसने यह भी बताया कि उसकी कंपनी में 400 से अधिक निवेशकों ने लगभग 20 करोड रुपए से अधिक कि राशि लगाया है. दूसरी ओर बात किया जाए नियम की तो विधि के जानकारी रखने वालों का कहना है कि चिट फंड कंपनी को वित्तीय लेनदेन करने के लिए पहले राज्य सरकार के रजिस्ट्रार ऑफ चिट्स (आरओसी) से अनुमति लेनी पड़ती है। यह अनुमति चिट फंड अधिनियम, 1982 और संबंधित राज्य चिट फंड नियमों के अनुसार प्राप्त की जाती है। चिट फंड व्यवसाय केंद्र और राज्य सरकारों का विषय है। इस कंपनी का लिंक जिला कवर्धा में संचालित एक चिट फंड कंपनी से है कवर्धा वाले उक्त कंपनी के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर मामले पर लंबे समय से जांच किया जा रहा है. बहरहाल देखने वाली बात होगी कि बिलासपुर पुलिस कब तक संज्ञान लेती है.

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