2 फरवरी से गुप्त नवरात्र, देवी आराधना के साथ शुभ कार्यों के लिए रहेंगे विशेष मुहूर्त

माघ मास की गुप्त नवरात्र का 2 फरवरी को वरयान योग की साक्षी में आरंभ होगा। देवी आराधना के नौ दिवसीय पर्व काल में यंत्र, मंत्र व वैदिक तंत्र की साधना का विशेष महत्व है। खास बात यह है कि नवरात्र के नौ दिनों में पांच रवियोग व दो सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग बन रहा है। शुभ मांगलिक कार्यों की शुरुआत के लिए लिए यह महामुहूर्त श्रेष्ठ फलप्रदाता माने गए हैं। नवरात्र में वसंत पचंमी व नर्मदा जयंती जैसे महापर्व भी आएंगे।

ज्योतिषाचार्य पं.हरिहर पंड्या के अनुसार वर्षभर में चार नवरात्र आते हैं। इनमें चैत्र व अश्विन मास की नवरात्र को प्रकट तथा आषाढ़ व माघ मास की नवरात्र गुप्त कही जाती है। इस बार माघी गुप्त नवरात्र का आरंभ 2 फरवरी को बुधवार के दिन धनिष्ठा नक्षत्र, वरयान योग, बव करण तथा कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में हो रहा है। पंचांग की यह पांच स्थितियां देवी आराधना व गुप्त साधना के लिए विशेष मानी जाती है। नौ दिवसीय नवरात्र में द्वितीया तिथि का क्षय रहेगा। साथ ही पांच रवियोग व दो सर्वार्थसिद्धि योग की साक्षी पर्वकाल को महत्वपूर्ण बना रही हैं।

नए कार्यों का श्री गणेश करें

ज्योतिर्विद पं.अमर डब्बावाला के अनुसार गुप्त नवरात्र में इस बार रवियोग व सर्वार्थसिद्धि योग के रूप में अतिविशिष्ट मुहूर्त आ रहे हैं। इन मुहूर्तों में नए कार्यों का श्री गणेश कर सकते हैं। नवीन प्रतिष्ठान का शुभारंभ,औद्योगिक इकाई की स्थापना, भूमि, भवन,वाहन, जेवरात की खरीदी के लिए भी यह दिन विशेष हैं। इन योगों में शुरू किए गए कार्य अथवा खरीदी गई संपत्ति उन्नति के साथ आर्थिक प्रगति प्रदान करती है।

कब कौन-कौन से योग

-2 फरवरी : रवि योग दिनभर रहेगा।

-3 फरवरी : रवि योग शाम 5 बजे से रात्रि पर्यंत।

-5 फरवरी : रवि योग शाम 4 बजे से रात्रि पर्यंत।

-6 फरवरी : सर्वार्थसिद्धि योग शाम 5 बजे से अगले दिन सुबह तक रहेगा।

-7 फरवरी : रवि योग दिनभर रहेगा।

-9 फरवरी : रवि योग मध्यरात्रि से अगले दिन सुबह तक रहेगा।

-9 फरवरी : सर्वार्थसिद्धि योग सुबह से लेकर रात्रि पर्यंत तक।

उज्जैन में गुप्त साधना करेंगे साधक

गुप्त नवरात्र में उज्जैन में साधक गुप्त साधना करेंगे। शक्तिपीठ हरसिद्धि माता मंदिर में गुप्त साधना का विशेष महत्व है। इसके अलावा गढ़ कालिका माता, चौसठ योगिनी माता, नगरकोट माता मंदिरों में साधना के अनुक्रम सिद्धि प्रदान करने वाले माने गए हैं। शक्ति उपासना के पर्वकाल में शहर के प्राचीन मंदिरों में देवियों का अभिषेक, पूजन तथा नित नया श्रृंगार किया जाएगा।

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