छत्तीसगढ़न्यूज़

36 हजार श्रमायुक्त-कलेक्टर श्रमिक, के लिए मांगा नियमितिकरण स्थाई करण का सौगात:-


आशीष तिवारी आप की आवाज रायपुर(छ.ग.)
रायपुर।छत्तीसगढ़ सर्वविभागीय श्रमायुक्त दर श्रमिक, कलेक्टर दर श्रमिक मोर्चा ने भेंट मुलाकात कार्य्रकम दक्षिण विधानसभा में मुख्यमंत्री के नाम प्रदेश के 36 हजार श्रमिको के हित मे ज्ञापन सौंपा। जिसमे प्रदेश अध्यक्ष अजय त्रिपाठी ने विस्तार से बताया कि छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश दिनांक 5 मार्च 2008 जो कि सुप्रीम कोर्ट उमा देवी प्रकरण के निर्देशानुसार जारी किया गया था। उस की कंडिका चार व पांच में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि इस आदेश के पश्चात भविष्य में कोई भी नियमितीकरण की कार्यवाही नहीं की जा सकेगी। यह कहते हुए इसमें निषेध लगाया गया है। इसी प्रकार कंडिका 5 में यह निषेध किया गया है कि इस आदेश दिनांक के पश्चात कहीं भी किसी भी विभाग में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, कलेक्टर दर के कर्मचारी, अनियमित कर्मचारी नियुक्त नहीं किए जाएंगे। इन दोनों कंडिका के निषेधाज्ञा के पश्चात सामान्य प्रशासन के अंतर्गत आने वाले लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग, वन विभाग, सिंचाई विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी सहित 54 विभागों में 2008 के पश्चात नए पदनाम श्रम आयुक्त दर के श्रमिक अथवा कलेक्टर दर के श्रमिक मौखिक रूप एवं आवश्यकता के अनुसार रखे जाने लगे। कंडिका 5 में दैनिक वेतन भोगी रखने की मनाही थी। 1998 से पूर्व दैनिक वेतन भोगियों को 89 दिन का नियुक्ति पत्र दिया जाता था। 2008 के पश्चात समस्त विभाग के लगभग 36 हजार उच्च कुशल, कुशल, अर्ध कुशल, अकुशल श्रमायुक्त दर के श्रमिक या कलेक्टर दर के श्रमिक जो कि विभिन्न विभागों में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी स्तर के कार्य कर रहे हैं।

7 अक्टूबर 2016 को मध्यप्रदेश में वहां की सरकार ने स्थायीकरण योजना लागू की थी। जिसमे वहां 48 हजार श्रमिको को स्थाई कर्मी बनाया था।
वर्तमान जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने दिए हुए फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि जिनके पास नियुक्ति पत्र होगा वही दैनिक वेतन भोगी नियमितीकरण के पात्र होंगे। ऐसी स्थिति में 2008 के पश्चात रखे गए जिन श्रमिको को जिन्हें नियुक्ति पत्र प्रदान नहीं किया गया है। यह म.प्र. योजना वरदान साबित हो सकती है।
आकस्मिकता निधि एवं कार्यभारित के अंतर्गत कार् सभी 36 हजार श्रमिक गण आकस्मिकता निधि एवं कार्यभारित निधि के अंतर्गत कार्यरत नहीं है ना ही ऐसे किसी आदेश से नियुक्त किए गए। *2 सूत्री मांग रखा है:*

  1. समस्त श्रम आयुक्त दर के श्रमिक एवं कलेक्टर दर के श्रमिक को आकस्मिकता निधि कार्यभारित निधि का कर्मचारी घोषित करते हुए (कार्य प्रारंभ तिथि से ) 3 वर्षों की समय सीमा तय करते हुए नियमितीकरण की सौगात दी जाए।
  2. सुझाव क्रमांक 1 यदि लागू करना संभव ना हो तो मध्य प्रदेश 2016 के स्थायीकरण योजना का अध्ययन कर इसी प्रकार की योजना बनाकर छत्तीसगढ़ में लागू किया जावे जिसमें स्थाई कर्मी बनने के पश्चात हम सभी को म.प्र. की भांति, नियमित कर्मचारियों की समस्त सुविधाएं उपलब्ध होंगी। छ .ग. में लागू पेंशन की पात्रता होगी। अनुकंपा की पात्रता होगी। महंगाई भत्ते की पात्रता होगी। वार्षिक वेतन वृद्धि की पात्रता मिलेगी। हमारा सुझाव है कि वर्तमान में हमें जो वेतन दिया जा रहा है उसी वेतन में भी हमें यदि स्थाई कर्मी घोषित किया जाता है तो तत्काल सरकार को किसी भी प्रकार का कोई आर्थिक बजट का बोझ नहीं आएगा और यदि हम सभी के स्थाई कर्मी बनाने के लिए 15 वर्ष का वर्ष बंधन लागू किया जाता है तो भी बेहद कम लोग तत्काल स्थाई कर्मी बनेंगे और शेष बचे हुए जैसे-जैसे उनका 15 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होता जाएगा स्थाई कर्मी बनते चले जाएंगे।

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