
5जी स्पेक्ट्रम से भारत को होगा कितना फायदा? सस्ता होगा इंटरनेट? जानें सारे सवालों के जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर कह चुके हैं कि देश ने डिजिटल क्रांति में सबसे आगे होने के कई मौके छोड़ दिए हैं लेकिन हमें 5जी तकनीक से होने वाला बदलावों की बस नहीं छोड़नी चाहिए। 1 अगस्त को पूरी हुई स्पेक्ट्रम नीलामी की प्रक्रिया में सरकार की अब तक की सबसे ज्यादा 1.5 करोड़ रुपए की कमाई हुई है। इस नीलामी में 2जी, 3जी, 4जी और 5जी सेवाओं के जुड़े स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए रखे गए। नीलामी में देखे गए उत्साह से साफ है कि उद्योग जगत इस तकनीक में निवेश को बिल्कुल भी पीछे नहीं हट रहा है। बल्कि आगे बढ़कर बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है।
इसके पहले स्पेक्ट्रम नीलामी का नाम लेते ही 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की याद ताजा हो जाता है। सरकार का दावा है कि न सिर्फ इस स्पेक्ट्रम नीलामी की प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी रखा गया बल्कि प्राइसिंग का भी खास ख्याल रखा गया है। 2010 में सामने आए 2जी घोटाले में तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए राजा पर आरोप लगाए गए कि सरकारी नीतियों की वजह से 2जी लाइसेंस सस्ते में दिए गए और इससे 1.75 लाख करोड़ रुपए का घोटाला हुआ।
सीएजी के ऑडिट में पता चला था कि स्पेक्ट्रम के प्राइस 2008 के बजाए 2001 के आधार पर तय कर दिए गए थे जिसकी वजह से ये घाटा हुआ। इस बार सरकार को उम्मीद है कि ऐसी कोई गलती नहीं हुई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2012 के 2 जी स्पेक्ट्रम नीलामी में 9,400 करोड़ रुपए, 2013 नीलामी में 61,200 करोड़ रुपए, 2015 में हुए 2जी और 3जी स्पेक्ट्रम नीलामी में 1.09 लाख करोड़ रुपए, 2016 नीलामी में 2जी, 3जी 4जी स्पेक्ट्रम नीलामी से 65,789.12 करोड़ रुपए, 2021 में 2जी, 3जी, 4जी, 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी से 77,814 करोड़ रुपए और 2020 में 2जी, 3जी, 4जी, 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी से 1.5 लाख करोड़ रुपए की कमाई हुई। ताजा नीलामी 40 राउंड चली और लगातार 7 दिनों तक इस प्रक्रिया को अंजाम दिया गया है।
5जी से होगा क्या क्या फायदा
>>माना जा रहा है कि 5जी तकनीक के जरिए मोबाइल इंटरनेट की स्पीड 4जी से 10 गुना ज्यादा हो जाएगी।
>>स्वास्थ्य सेवाओं में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ेगा। इसमें टेलीमेडिसिन के साथ-साथ चिकित्सा क्षेत्र में रोबोट का इस्तेमाल करना बढ़ेगा। दूरस्थ ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में तकनीक के जरिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से गंभीर बीमारियों के इलाज की भी व्यवस्था बनाई जा सकेगी। तकनीक के जरिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की क्वालिटी बहेतरीन रहेगी इससे डॉक्टर को मरीज की हालत का बेहतर अंदाजा मिलेगा।
>> होटल और हॉस्पिटालिटी सेक्टर में भी रोबोट का इस्तेमाल करना संभव हो सकेगा।
>> वर्चुअल रियलिटी के क्षेत्र को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके जरिए आभासी टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सकेगा।
>> कृषि क्षेत्र में ड्रोन का इस्तेमाल प्रभावी तरीके से हो सकेगा। साथ ही मौसम की जानकारी का अंदाजा ज्यादा सटीकता से लगाया जा सकेगा और उसका प्रसार, हितधारकों तक तेज हो सकेगा।
>> शिक्षा और शोध के क्षेत्र में तेज इंटरनेट और ज्यादा कनेक्टिविटी से बेहतर और जल्दी परिणाम मिलने शुरू हो जाएंगे।
>> अभी प्रयोग के स्तर पर चलाई जा रही ड्राइवर लेस कार और ड्राइवरलेस मेट्रो के संचालन को अंजाम दिया जा सकेगा
देश में इंटरनेट कितना सस्ता?
आंकड़ों के मुताबिक सस्ते मोबाइल डाटा के मामले में भारत दुनियाभर में 5वें पायदान पर है। इस मामले में इजरायल सबसे सस्ता देश है। इजरायल के बाद सस्ता इंटरनेट देने के मामले में इटली, सैन मारिनो और फिजी भारत आगे हैं। वहीं अटलांटिक के एक दूरस्थ द्वीप सेंट हेलेना में ये सबसे महंगा है।
वैश्विक मोबाइल डाटा प्राइसिंग 2022 की ताजा रिपोर्ट में 233 देशों का सर्वे किया गया था। इस सर्वे में भारत सस्ते मोबाइल इंटरनेट के मामले में पांचवे स्थान पर है। यहां 1 गिगाबाइट डाटा की कीमत करीब 13.5 रुपए है। वहीं भारत के तमाम पड़ोसी देश महंगा इंटरनेट बेचते हैं। पाकिस्तान में ये 29 रुपए, बांग्लादेश में 25 रुपए और श्रीलंका तथा नेपाल में 22 रुपए प्रति गिगाबाइट है। दुनियाभर में इजरायस सबसे सस्ता मोबाइल इंटरनेट देने वाला देश है। यहां 1 गिगाबाइट डाटा की कीमत 3 रुपए है।