
लैलूंगा। नगर पंचायत लैलूंगा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। आज से वर्तमान जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो गया है, और राज्य शासन द्वारा प्रशासकीय अधिकारियों की नियुक्ति भी कर दी गई है।
पिछले तीन चुनावों के रुझानों पर नजर डालें तो कांग्रेस का दबदबा रहा है। पहले चुनाव में कांग्रेस की अंदरूनी कलह के चलते एनसीपी के समर्थन से विरोधी गुट ने कांग्रेस को शिकस्त दी थी। हालांकि, दूसरे चुनाव में कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व ने गुटबाजी को दूर करते हुए एकजुटता के साथ चुनाव लड़ा और सत्ता में वापसी की, भले ही वह प्रदेश में विपक्ष में थी। तीसरे चुनाव में कांग्रेस ने सत्ताधारी बीजेपी को पूरी तरह पटखनी दे दी थी।
हालांकि, हाल के राजनीतिक घटनाक्रम कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। विधानसभा चुनाव में लैलूंगा के पूर्व विधायक का टिकट काटकर तमनार विकासखंड से नया प्रत्याशी उतारने का निर्णय कांग्रेस के लिए लाभकारी तो रहा, लेकिन इससे स्थानीय स्तर पर नाराजगी बढ़ गई। इस असंतोष का असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला। अब नगर पंचायत चुनाव में कांग्रेस को चुनौती मिलने की संभावना है, क्योंकि पार्टी के अधिकांश पार्षद संगठन से नाराज हैं और चुनाव लड़ने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
कांग्रेस की इस स्थिति का प्रमुख कारण ब्लॉक कांग्रेस संगठन से बढ़ती नाराजगी बताई जा रही है। पूर्व विधायक चक्रधर सिंह सिदार और पूर्व विधायक हृदय राम राठिया समेत उनके समर्थकों ने ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष की लगातार शिकायत की है और उनसे दूरी बनाए रखने की सलाह दी है। इसके अलावा, वर्तमान विधायक के बयानों और उनके नेतृत्व को लेकर भी असंतोष बढ़ता जा रहा है। कार्यकर्ताओं के अनुसार, विधायक प्रतिनिधि के रूप में ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति से भी नाराजगी बढ़ी है।
ऐसे में नगर पंचायत चुनाव में तीसरे मोर्चे की एंट्री की अटकलें तेज हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक, कुछ पार्षद आम आदमी पार्टी (AAP) के संपर्क में हैं और AAP के टिकट पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। यदि यह रणनीति सफल होती है, तो यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है और न केवल नगर पंचायत चुनाव, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
नगर पंचायत चुनावों के साथ ही आगामी 2026 में होने वाले विधानसभा परिसीमन पर भी सभी की नजरें टिकी हुई हैं। ऐसे में तीसरे मोर्चे की दस्तक लैलूंगा की राजनीति का समीकरण पूरी तरह बदल सकती है।