
रायगढ़ जिले में वित्तीय अनुशासन की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। जिले में बंद पड़ी पुरानी सरकारी योजनाओं से जुड़े 690 बैंक खातों को बंद कर उनमें जमा करीब 20.50 करोड़ रुपये की राशि शासन को वापस कर दी गई है।
दरअसल, सरकार कई योजनाएं शुरू करती है, कुछ को समाप्त भी कर देती है, लेकिन इन योजनाओं की शेष राशि और बैंक खातों की स्थिति पर शायद ही कभी नजर डाली जाती है। परिणामस्वरूप, बंद योजनाओं के खाते वर्षों तक निष्क्रिय पड़े रहते हैं और करोड़ों रुपये उपयोग में नहीं आ पाते।
वित्त विभाग ने वर्ष 2024 में सभी जिलों को आदेश जारी कर बंद योजनाओं की अव्ययित राशि राज्य की संचित निधि में जमा करने का निर्देश दिया था। इसके बाद सचिव वित्त विभाग मुकेश बंसल ने पुनः रिमाइंडर जारी किया। निर्देश के पालन में कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने जिले के सभी विभागों से खातों की जानकारी मांगी।
समीक्षा में पता चला कि रायगढ़ जिले में 247 आहरण एवं संवितरण अधिकारियों (DDO) के अंतर्गत 690 बैंक खाते अब भी सक्रिय थे, जबकि संबंधित योजनाएं बंद हो चुकी थीं। जांच में पाया गया कि इनमें 20.50 करोड़ रुपये की राशि वर्षों से बिना उपयोग के पड़ी थी। जिला कोषालय अधिकारी चंद्रपाल सिंह ठाकुर के मार्गदर्शन में यह पूरी राशि चालान के माध्यम से शासन के खाते में जमा कराई गई।
खातों की जांच में सामने आया कि पंचायत विभाग के पास सबसे अधिक राशि — लगभग 12 करोड़ रुपये — पड़ी हुई थी। इनमें 10वां, 11वां, 12वां, 13वां, 14वां वित्त आयोग, बीआरजीएफ, जिला नवाचार निधि, छत्तीसगढ़ गौरव योजना और पंचायत सशक्तिकरण योजना जैसी पुरानी योजनाएं शामिल थीं।
पिछले दिनों हुई कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में रायगढ़ जिले की इस पहल की सराहना की गई। वित्त विभाग ने अन्य जिलों को भी रायगढ़ से सीख लेकर अपने पुराने खातों की समीक्षा कर अव्ययित राशि शासन को लौटाने के निर्देश दिए हैं।












