गांधी परिवार के करीबी से राजा भैया के बहनोई तक, पढ़ें दिवंगत MLA देवव्रत सिंह से जुड़े अनसुने तथ्य

राजनांदगांव. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजनीति में इस बार दिवाली (Diwali) की सुबह एक दु:खद खबर के साथ हुई. खैरागढ़ राजपरिवार (Khairagarh Royal family) के सदस्य व विधायक देवव्रत सिंह (MLA Devwrat Singh) की मृत्यु की सूचना जैसे ही मिली, क्षेत्र में शोक की लहर फैल गई. राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने विधायक और पूर्व सांसद देवव्रत सिंह के आकस्मिक निधन पर दुख प्रकट किया. सीएम बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ ने एक ऊर्जावान और लोकप्रिय जनप्रतिनिधि को खो दिया है. देवव्रत सिंह का कम उम्र में निधन प्रदेश की राजनीति को अपूरणीय क्षति है. दिवंगत देवव्रत सिंह खैरागढ़ विधानसभा से चार बार विधायक और एक बार राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे हैं. मुख्यमंत्री बघेल ने देवव्रत सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ करने के निर्देश दिए हैं.

 

देवव्रत सिंह को बुधवार और गुरुवार की दरम्यानी रात करीब 3 बजे दिल का दौरा पड़ा. परिजन उन्हें अस्पताल लेकर रवाना हुए, लेकिन इससे पहले ही उनकी सांसे थम चुकी थीं. खैरागढ़ में उनके निज निवास कमल विलास पैलेस में देवव्रत सिंह का पार्थिव शरीर रखा गया है. उनके निवास पर समर्थकों और नेताओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है. दोपहर करीब 2 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाना तय किया गया है. कांग्रेस के राष्ट्रीव प्रवक्ता रहे देवव्रत सिंह एक समय राहुल गांधी और उनके परिवार के काफी करीबी माने जाते रहे हैं. पारिवारिक रूप से राजनीति में सक्रिय देवव्रत सिंह के महल में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी भी ठहर चुकी हैं.

राजा भैया के बहनोई
देवव्रत सिंह से उनकी पहली पत्नी पद्मा सिंह का तलाक साल 2015 में हुआ. बताया जा रहा है कि आपसी विवाद के बाद दोनों ने अलग रहने का निर्णय लिया. इसके बाद देवव्रत सिंह ने दूसरी शादी की. देवव्रत सिंह का दूसरा विवाह उत्तर प्रदेश के कुंडा के चर्चित विधायक व राजपरिवार के सदस्य रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के मसौरी बहन विभा सिंह से हुआ. देवव्रत सिंह राज भैया के भी करीबी माने जाते रहे हैं.

अजीत जोगी से लगाव में छोड़ी कांग्रेस
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि देवव्रत सिंह छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के भी काफी करीबी थे. बताया जा रहा है कि यही कारण है कि अजीत जोगी द्वारा साल 2016 में कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाने के बाद देवव्रत सिंह ने भी कांग्रेस छोड़ दी. उन्होंने अपना इस्तीफा सीधे पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय राहुल गांधी को भेजा था. इसके बाद वे साल 2018 के विधानसभा चुनावों में अजीत जोगी की पार्टी जेसीसीजे की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते भी. हालांकि अजीत जोगी की मृत्यु के बाद अब फिर से उनके कांग्रेस ज्वाइन करने की चर्चाएं शुरू हो गईं थी. देवव्रत सिंह छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम व बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह के भी रिश्तेदार थे.

राजनीतिक सफर
विधायक मां की मृत्यु के बाद साल 1995 के उपचुनाव में देवव्रत सिंह पहली बार एमएलए बने. देवव्रत सिंह खैरागढ़ विधानसभा सीट से चार बार विधायक निर्वाचित हुए. एक बार राजनांदगांव लोकसभा सीट से सांसद भी रहे. वह FCI (भारतीय खाद्य निगम) के अध्यक्ष भी थे. साथ ही कई संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे. 1995 से 1998 तक खैरागढ़ से मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे. 1998 से 2003 तक पहले मध्य प्रदेश, फिर छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य रहे. 2007 से 2009 तक राजनांदगांव से लोकसभा चुनाव जीता और सांसद बने. फरवरी 2018 में कांग्रेस छोड़ जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ में शामिल हुए और फिर विधायक चुने गए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button