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वर्ल्ड बैंक की सलाह-स्कूलों को खोलना अब जरूरी है, बच्चों को हो रहा नुकसान

School Reopening News: बच्चों के स्कूलों को खोलने को लेकर कोरोना टीका का इंतजार कर रहे देशों को अब विश्व बैंक ने सलाह दी है कि देशों को स्कूल खोलने के लिए पहले व्यापक टीकाकरण किए जाने का इंतजार करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वैज्ञानिक प्रमाण इस तरफ स्पष्ट संकेत करते हैं कि बच्चों में कोविड-19 के संक्रमण की आशंका कम है और इसलिए बच्चों के स्कूलों को अब खोल देना जरूरी है. स्कूलों को बंद रखने से बच्चों के विकास पर प्रभाव पड़ रहा है.

विश्व बैंक ने नीतिगत नोट तैयार किया है

विश्व बैंक की शिक्षा टीम ने दुनियाभर के उन देशों के अनुभव के आधार पर एक नीतिगत नोट तैयार किया है, जहां स्कूल फिर से खोले जा चुके हैं. टीम ने इसमें सुझाव दिया गया है कि एहतियात के साथ स्कूल खोलने से छात्रों, कर्मचारियों व समाज में संक्रमण फैलने का जोखिम बहुत कम है. क्योंकि, महामारी की चपेट में आने के एक साल बाद, वायरस और बीमारी दोनों के बारे में अब पर्याप्त जानकारी है, इसके अलावा संक्रमण के प्रभाव को कम करने के बारे में भी अब पर्याप्त जानकारी है. ऐसे में स्कूल बंद करना आखिरी उपायों में शामिल होना चाहिए.

बच्चों के टीकाकरण का इंतजार करना ठीक नहीं 

वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि वैक्सीन विकसित होने से पहले फिर से स्कूल खोलने के वाले देशों के अनुभवों को देखते हुए कहा जा सकता है कि स्कूल खोलने के लिए व्यापक टीकाकरण की प्रतीक्षा करने की जरूरत नहीं, इसके अलावा छात्रों के स्कूल लौटने से उनका डर भी दूर होगा. स्कूलों को बंद रखना बीमारी का खतरा तो घटाता है, लेकिन बच्चों की पढ़ाई, मनोसामाजिक स्वास्थ्य और समग्र विकास को खतरे में डालता है. अब तक के अनुभव से यही सामने आया है कि स्कूल बंद रखना ज्यादा नुकसानदेह है.

स्कूल बंद रखना नुकसानदेह है

विश्व बैंक के नोट के मुताबिक जहां सरकार व समाज डरते हैं कि स्कूलों को फिर से खोलने से संक्रमण फैल सकता है सिर्फ वहीं स्कूल बंद हैं. जबकि, स्कूलों को खोलने से जुड़े साक्ष्य इस धारणा के उलट हैं. इन देशों को स्कूल बंद रखने के नुकसानों का आकलन करना चाहिए, क्योंकि इस बात के सुबूत मौजूद हैं कि स्कूल बंद रखना, स्कूल खोलने से जुड़े जोखिमों से कहीं ज्यादा है.

पिछले साल कोविड के कारण 188 से अधिक देशों में स्कूलों को बंद कर दिया गया, जिससे 1.6 अरब बच्चे स्कूलों से दूर हो गए. उस समय यह ठीक था, क्योंकि तब कोई महामारी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखता था, लेकिन अब ऐसा नहीं हैं कि स्कूल बंद रखे जाएं.

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