
बन रहा वो लैब जहां मर कर भी जिंदा रहेगा शरीर, देनी होगी ये कीमत
अगर हम आपसे कहे कि मौत के बाद भी इंसान जीवित रह सकता है तो यह बात आपको थोड़ा हैरान कर सकती है, लेकिन यह बात हम नहीं विज्ञान कह रहा है कि मृत्यु के बाद भी इंसान जीवित रह सकता है. इंसानों का शरीर बेहद जटिल प्रक्रियाओं के तहत बना हुआ है. अमेरिका के वैज्ञानिक एक खास तरह की प्रयोगशाला तैयार कर रहे हैं, जहां मृत शरीर को सुरक्षित रखा जा सकता है. वैज्ञानिक इसके लिए क्रायोनिक्स नाम की तकनीक अपना रहे हैं. अमेरिका में लोग अपने मृत शरीर को एक खास प्रयोगशाला में सुरक्षित भी रखवा रहे हैं.
इसमें मानव शरीर को बर्फ की तरह जमा कर उस समय तक रखने का प्रावधान है जब उन्नत तकनीक से लोगों का जीवन फिर से लौटाया जा सकेगा. अमेरिका के स्कॉट्सडेल में एक प्रयोगशाला में मानवशरीर और उनके अंगों को सुरक्षित रखा जा रहा है और इसके लिए ग्राहक भी कम नहीं हैं. इस एक तरह के उद्योग के रूप में पनप रहा है. इस तरह से शरीर को संरक्षित रखने के प्रक्रिया को चिकित्सा जगत में संदेह की निगाह से देखा जा रहा है. साथ ही आलोचना भी की जा रही है, लेकिन क्रायोनिक्स तकनीक से मौत के बाद शरीर को सुरक्षित रखा जा सकेगा.
इस प्रक्रिया में वैज्ञानिकों का प्रयास मौत के बाद जल्दी से जल्दी शरीर को संरक्षित करने का होता है. उनका इरादा जितना संभव हो शरीर की हर कोशिका को संरक्षित करना होता है. इसके लिए वे शरीर को या फिर उस अंग को जिसे संरक्षित करना हो -196 डिग्री सेंटीग्रेड में जमा कर रखते हैं. विशेष द्रव का उपयोग वैज्ञानिकों को उद्देश्य शरीर में विघटन या विखंडन की प्रक्रिया को जहां तक संभव हो रोकना होता है. इसके लिए उससे पहले एक खास द्रव शरीर के अंदर संचारित करते हैं जो ठंडा होने के साथ फैलता है और शरीर के अंदर विघटन की प्रक्रियाओं को जारी रहने से रोक देता है. इस पूरी प्रक्रिया को क्रायोप्रिजर्वेशन कहते हैं.
काफी पहले से चल रहा है क्रायोनिक प्रक्रिया
हैरानी की बात यह है कि क्रायोनिक प्रक्रिया अभी से नहीं बल्कि काफी समय पहले से चल रही है. पहली शरीर जो क्रायोनिक पद्धति से गुजरा था, वह 1967 में संरक्षित किया गया था. आज यह प्रक्रिया एक व्यवासाय और उद्योग का रूप ले रही है.
पूरे शरीर को संरक्षित रखने की इतनी कीमत
इस तकनीक पर काम करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि विज्ञान की दुनिया में बहुत ही अप्रत्याशित उपलब्धियां हासिल हुई हैं. 100 साल पहले चांद पर जाने की बात कपोल कल्पना लगती थी, लेकिन यह संभव हुआ. इस प्रक्रिया के लिए केवल पूरे शरीर ही संरक्षित नहीं किया जाता है, बल्कि शरीर के अंग खास तौर से मस्तिष्क को भी संरक्षित किया जाता है. इसके अलावा भ्रूण या मृत शिशु भी संरक्षित किए जाते हैं. पूरे शरीर को संरक्षित रखने की कीमत दो लाख अमेरिकी डॉलर है. वहीं, केवल दिमाग को संरक्षित करवाने में 80 हजार डॉलर का खर्चा आएगा.