छोटे बच्चों को भी हो सकता है कैंसर, बच्चे की नियमित जांच जरूरी

वर्ल्ड कैंसर डे पर विशेष

अधिकतर मामलों में बच्चे ठीक हो जाते हैं बस जल्दी पता चले :डॉ. ताराचंद पटेल

रायगढ़ 03 फरवरी 2022, लोगों में आम धारणा है कि कैंसर केवल बड़ी उम्र में ही होता है, हालांकि ऐसा नहीं है। छोटे बच्चों को भी कई प्रकार के कैंसर हो सकते हैं। यह 2 से 10 की उम्र में भी हो सकता हैं। इसलिए इस बीमारी के विषय में सभी को जानकारी होना बहुत जरूरी है। खासकर बच्चों के लक्षणों को पालकों को समझना होगा। यदि आपके बच्चे का वजन तेजी से गिर रहा है और उसका बुखार दो तीन दिन में आ रहा है और जा रहा है और ऐसा 1 महीने से चल रहा है तो यह कैंसर के आरंभिक लक्षण हो सकते हैं।

शहर के प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ताराचंद पटेल के मुताबिक बच्चों में सबसे आम ब्लड कैंसर होता है, जिसे ल्यूकेमिया के नाम से भी जाना जाता है। इसमें कई प्रकार होते हैं, जिनमें एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया शामिल है। इसके अलावा बच्चों में लिंफोमा भी काफी आम हैं, जिससे गले और पेट में गांठ व पेट में गांठ बढ़ जाती है। बच्चों को बोन ट्यूमर, किडनी और आंखों का कैंसर भी हो सकता है, हालांकि बच्चों में सबसे अधिक मामले ब्लड कैंसर के ही सामने आते हैं। अधिकतर मामलों में बच्चे ठीक भी हो जाते हैं। कैंसर के लक्षण अगर समय पर पहचान में आए तो उसका उपचार भी हो सकता है। कैंसर का जितनी जल्दी पता चल सके उतनी जल्दी उसका इलाज शुरू कर देने से खतरा टल सकता है। पालक किसी भी प्रकार की गलतफहमी या फिर दूसरी दिशा में न जाएं। अगर बच्चे में कैंसर की पुष्टि हो चुकी है तो तुरंत इलाज कराएं।

बुखार से होती है शुरुआत

डॉ. ताराचंद पटेल ने बताया: “अगर किसी बच्चों को बुखार हो रहा है और दवाएं लेने के बावजूद भी यह महीने तक बना हुआ है तो सबसे पहले ब्लड टेस्ट जरूर कराएं। अगर ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट में वाइट ब्लड सेल्स बढ़े हुए हैं और प्लेटलेट्स के साथ हीमोग्लोबिन का स्तर भी गिरा हुआ है तो डॉक्टरों की सलाह लें। ऐसी स्थिति में डॉक्टर विभिन्न प्रकार की जांच करते हैं। जिसमें कैंसर का पता चलता है। राहत की बात यह होती है कि बड़ों के मुकाबले बच्चों में कैंसर के लक्षण जल्दी दिखने लगते हैं। बस जरूरत है इनको समय पर पहचानने की।“

कैंसर के होते हैं कई कारण

डॉक्टर पटेल के मुताबिक “कई ऐसे वायरस होते हैं, जो कैंसर का कारण बनते हैं। रेडिएशन भी इसका एक कारण है। यदि कोई बच्चा बचपन में काफी मोटा रहा है, तो आगे चलकर उसे कैंसर होने की संभावना होती है। कई बार जेनेटिक कारणों से भी कैंसर हो सकता है. इसके इलाज़ के लिए कीमोथेरेपी, सर्जरी और रेडिएशन थेरेपी की जाती है। अगर कैंसर बढ़ जाए तो रेडिएशन थेरेपी की आवश्यकता होती है।“

ये होते हैं लक्षण
§ दो से तीन सप्ताह तक बुखार बने रहना
§ शरीर पर चकत्ते पड़ना
§ मुंह या नाक से खून आना
§ शरीर के किसी हिस्से में गांठ निकल जाना
§ दो हफ्ते से ज्यादा समय से सिरदर्द
§ बिना किसी कारण पीठ में दर्द बने रहना
§ मानसिक सेहत का बिगड़ना
§ एंटीबायोटिक्स दवा देने पर उनका असर न होना

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