
रिजर्व फॉरेस्ट की जमीन पर अवैध कब्जा कर हो रहा है पोल्ट्री फार्म का संचालन
छुरा जनपद पंचायत के एक सदस्य वन विभाग की रिजर्व फॉरेस्ट की जमीन पर अवैध कब्जा कर सालों से कर रहा है पोल्ट्री फार्म का संचालन
भूपेंद्र गोस्वामी आपकी आवाज
वन विभाग की कर्मचारी और अधिकारियों की सांठगांठ से हुआ है इतना बड़ा कारनामा
गरियाबंद जिले के छुरा वन परिक्षेत्र के जंगलों में अतिक्रमणकारियों का कब्जा है. वन विभाग की सरपरस्ती मे रसूखदार रिजर्व फॉरेस्ट में अतिक्रमण कर जंगलों का नाश कर रहा है जो किसी से छुपा नहीं है वन विभाग की सह पर ही अतिक्रमण कारी बड़े झाड़ के जंगल में अवैध रूप से कब्जा कर अपना पैर जमाए हुए हैं लेकिन मुक दर्शक वन विभाग के ऑल अधिकारियों इनके ऊपर कार्यवाही करने में हाथ पाव फूल रहा है
मामला जिले के वन क्षेत्र कार्यालय छुरा के अंतर्गत नवापारा (भ ) पंचायत के आश्रित ग्राम झबली बाहरा का है जहां रिजर्व फॉरेस्ट में अशोक पटेल और उनके भाई अमृत पटेल द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर बड़े बड़े मुर्गी फार्म का निर्माण किया है इन लोगों के द्वारा हरे भरे पेड़ पौधों को काटकर सालों पहले मुर्गी फार्म बना डाला लेकिन वन विभाग के लापरवाह अधिकारी जंगल के विनाश होने का तमाशा देखते विभाग के किसी भी जिम्मेदार नहीं इस अवैध निर्माण और अतिक्रमण को रोकने की जहमत नहीं दिखाई जिसके चलते आज बड़े झाड़ के जंगलों को उजाड़ कर इन लोगों के द्वारा बड़े-बड़े मुर्गी फार्म का निर्माण कर डाला और पोल्ट्री फार्म का संचालन किया जा रहा है वही फार्म बनाने के लिए जंगल की पहाड़ी को भी मशीन से काटकर क्षति पहुंचाया गया है तो वही मुर्गी फार्म के डस्ट को जंगल में फेंका जा रहा है जिससे पर्यावरण और जंगली जानवरों पर खतरा मंडरा रहा है इन अतिक्रमणकारियों के ऊपर आज तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं होने से इनके हौसले इतने बुलंद है की अब ये अपना अतिक्रमण जंगल और पहाड़ी की ओर बढ़ रहा है वही जंगल की एरिया को चिन्ह अंकित करने के लिए बताया गया मुनारा को भी मिटा दीया ताकि किसी को पता ना चल सके इतना होने के बावजूद व जंगल के इतने बड़े एरिया में इनके द्वारा अवैध कब्जा करने के बाद भी आज तक कोई कार्यवाही ना होना बहुत सारे सवालों को जन्म दे रहा है और यह सवाल वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारियों के ऊपर खड़ा हो रहा है एक तरफ शासन वनो की सुरक्षा के लिए नीति नय जतन कर रहे हैं तो दूसरी ओर वनों के रक्षक ही वन माफियाओं के साथ मिलकर वनों के भक्षक बन गए हैं
रिजर्व फॉरेस्ट में अवैध कब्जा कर बनाएं मुर्गी फार्म और लगा दिया वन अधिकार पट्टा के लिए आवेदन
आपको दिलचस्प बात बता दे की अशोक पटेल और उनके भाई द्वारा रिजर्व फॉरेस्ट के एक बड़े क्षेत्र में अतिक्रमण कर मुर्गी फार्म का निर्माण किया है और इसी जंगल पर वन अधिकार पट्टा के लिए भी आवेदन कर दिया हालांकि इनके आवेदन को अपात्र होने की जानकारी विभाग द्वारा प्राप्त हुई है जबकि नियमानुसार वन अधिकार पट्टा शासन द्वारा भूमिहीन और छोटे वर्ग के किसानों को खेती के लिए दिया जाता है लेकिन रसूख दारों द्वारा अपने पहुंच और पैसे की दम पर रिजर्व फॉरेस्ट में अतिक्रमण कर और मुर्गी फार्म का निर्माण कर वन अधिकार पट्टा प्राप्त की लालसा में है वहीं अगर कोई गरीब किसान व ग्रामीण इतनी बड़ी गलती कर दे तो उनके लिए वन विभाग अपने सारे नियम कायदे और कानून उनके ऊपर थोप देते हैं पर यह अतिक्रमण कारी रसूखदार जनप्रतिनिधि व पैसा वाला है इस वजह से वन विभाग का नियम इस पर लागू नहीं होता और विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के हाथ पैर उनके ऊपर कार्यवाही करने में फूल रहा है और पसीना छूट रहा है तो क्या वन विभाग के सारे कानून केवल गरीब के लिए है छुरा वन विभाग अधिकारी एसडी दीवान आज के युवा पीढ़ी के तेजतर्रार कार्यवाही के लिए जाने जाते हैं पर इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं किया जाना समझ से परे है
जनपद सदस्य में रिजर्व फॉरेस्ट की करोड़ों की जमीन पर किया अतिक्रमण अवैध कब्जा के बावजूद भी जीत गया चुनाव मामले में दिलचस्प बात आपको बताना चाहेंगे की ग्राम पंचायत नवापारा (भ ) के आश्रित ग्राम झाड़ली बाहरा मे रिजर्व फॉरेस्ट के एक बड़े हिस्से में अतिक्रमण और अवैध कब्जा कर मुर्गी फार्म का निर्माण किया है वो छुरा जनपद पंचायत में एक जनपद सदस्य और जनप्रतिनिधि है जी हां अवैध कब्जा धारी अशोक पटेल वर्तमान में इस क्षेत्र से जनपद सदस्य के जिम्मेदार पद पर हैं उन्होंने वन विभाग के एक बहुत बड़े हिस्से पर कब्जा कर मुर्गी फार्म का संचालन कर रहे हैं जबकि नियमानुसार चुनावी नामांकन भरने के समय बाकायदा नामांकन पत्र में किसी भी प्रकार से सरकारी जमीन पर उम्मीदवार द्वारा अवैध कब्जा नहीं होने का शपथ पत्र दिया जाता है लेकिन इन जनप्रतिनिधि ने अपने बेजा कब्जा को छुपा कर गलत तरीके से चुनाव जीत गया अब इस मामले को लेकर जिला निर्वाचन अधिकारी से शिकायत की जाएगी इस सारे मामले में ग्राम पंचायत नवापारा की भूमिका भी संदिग्ध है क्योंकि वन विभाग की रिजर्व फॉरेस्ट की जमीन पर गलत तरीके से पंचायत प्रस्ताव दिया गया है जिससे ग्राम पंचायत की भूमिका भी सांठगांठ की ओर इशारा कर रहा है
वर्जन 1
इसका जांच प्रतिवेदन स्टाफ द्वारा दिया है वन अधिकार के लिए पंचायत प्रस्ताव पंचायत द्वारा दिया गया है लेकिन अपात्र है वो अपील किया है ऐसा बता रहे हैं लेकिन मैं अभी रिपोर्ट देखा नहीं हूं फॉरेस्ट गार्ड को पहुंचा हूं की क्या रिपोर्ट है करके तो बताया कि पंचायत में दिया था वन पट्टा के लिए तो वो बता रहे हैं की अपील क्या है करके तो उसका डिटेल में देखा नहीं हूं जाऊंगा तो रिपोर्ट चेक करवाता हूं फिर आपको बताऊंगा अपात्र होने के बाद अपील गया है अब अपील की स्थिति क्या है देखना पड़ेगा बाकी पंचायत प्रस्ताव मुर्गी फार्म के लिए दिया है फिर भी अन लीगल है अप्रैल का प्रस्ताव रहता है
एसडी दीवान, वन परीक्षेत्र अधिकारी छुरा
वर्जन 2
मेरे कार्यकाल का नहीं है वन अधिकार पट्टा के लिए आवेदन किया था लेकिन अपात्र है पंचायत द्वारा किसी भी प्रकार से पंचायत प्रस्ताव व. एनओसी नहीं दिया गया है वो वन विभाग की जमीन है
शांति भाई दीवान सरपंच ग्राम पंचायत नवापारा (भ )
वर्जन 3
इस बारे में अमृत पटेल ने कहा कि बड़े भैया को इस बारे में जानकारी है उन्हीं से बात कर लो वही पूरा जानकारी बता पाएंगे
वर्जन 4
वहीं इस मामले को लेकर पक्ष जानने और जमीन को लेकर फोन के माध्यम से सवाल किया गया तो अशोक पटेल ने कहा की अभी मुर्गी फार्म में हूं लाइट बंद हो गया है आपको बाद में कॉल करता हूं