
ताश खेलने के दौरान कर दी थी साथी की हत्या, 28 साल तक भेष बदलकर पुलिस को देता रहा चकमा….और अब
बालोदः कई बार अपराधी इतने चालाक होते हैं कि अपराध करने के लिए एक- दो साल तक भी वह पुलिस की पकड़ में नहीं आ पाते लेकिन बालोद जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां हत्या का एक आरोपी हत्या के 28 साल बाद पुलिस की पकड़ में आया है. पुलिस की इस कार्रवाई ने अपराधियों को यह संदेश दिया है कि अपराध को भले ही सालों गुजर जाएं लेकिन दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.
क्या है मामला
बालोद एसपी सदानंद कुमार ने बताया कि घटना साल 1994 की है. जिले के गुरुर थाना क्षेत्र के सोर गांव के कुछ लोग बैठकर ताश खेल रहे थे. इसी बीच एक व्यक्ति चंद्रिका यादव ने खेल में बेईमानी कर दी, जिसे लेकर बलराम उर्फ बल्ला और चंद्रिका यादव के बीच विवाद हो गया. विवाद इतना बढ़ गया कि बल्ला ने अपने गमछे से चंद्रिका यादव का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी. हत्या के बाद पूरे गांव में सनसनी फैल गई.
घटना के बाद आरोपी मौके से फरार हो गया. इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर अलग-अलग जगहों पर आरोपी की तलाश की लेकिन आरोपी का कुछ पता नहीं चला. लगातार फरार रहने पर पुलिस ने धारा 299 के तहत कोर्ट में अंतिम प्रतिवेदन पेश किया. जिसके बाद साल 2005 में कोर्ट ने आरोपी बल्ला के खिलाफ बेमियादी वारंट जारी कर दिया. इसके बाद भी पुलिस आरोपी को ढूंढने में असफल रही.
इस बीच बालोद पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार ने पुलिस विभाग की कमान संभालने के बाद ऐसे मामलों की फिर से जांच शुरू करवाई. इस बीच बालोद पुलिस को सूचना मिली की हत्या का आरोपी बल्ला दुर्ग जिले के नेवई थाना क्षेत्र के खदान पारा में रह रहा है. पुलिस अधीक्षक ने टीम बनाकर गोपनीय तरीके से आरोपी को पकड़ने का प्लान बनाया और आरोपी को नेवई की बस्ती खदान पारा से धर दबोचा.
ऐसे रहा फरार
आरोपी ने पूछताछ में बताया कि हत्या के बाद पुलिस से बचने के लिए वह बैलाडीला दंतेवाड़ा चला गया था. वहां पर किशन दा ढाबा में पहचान छिपाकर काम किया. आरोपी कुछ साल बाद अपने पत्नी और बच्चों को भी गांव से ले गया और बैलाडीला में जाकर रहने लगा. इसके बाद वह राजनांदगांव आ गया. वहां तीन से चार साल रहने के बाद वह दुर्ग जिले के नेवई में खदान पारा में रहने लगा. बीते 17 सालों से आरोपी बल्ला यहीं रह रहा था, जहां से पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया.