श्रीलंका जैसे हाल में पहुंचा सकती हैं मुफ्त की घोषणाएं…पढ़िये पूरी खबर

नई दिल्ली: विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) सहित कई सियासी दलों ने लोगों को लुभाने के लिए मुफ्त की कई घोषणाएं की थी। हालांकि, केंद्र की सत्ता में काबिज भाजपा के साथ ही नौकरशाहों को भी यह लगता है कि ऐसा करना गलत है। पीएम मोदी के साथ बैठक में नौकरशाहों ने योजनाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि मुफ्त के ऐलान आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं हैं। नौकरशाहों ने कहा कि ये चीज़ें देश को श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं। हालांकि ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि नौकरशाहों का इशारा किन योजनाओं की तरफ था।

रिपोर्ट के अनुसार, पीएम नरेंद्र मोदी की वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ रविवार को एक अहम बैठक हुई। पीएम मोदी ने 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने शिविर कार्यालय में सभी विभागों के सचिवों के साथ चार घंटे की लंबी मीटिंग की। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल, पीएम के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के साथ ही केंद्र सरकार के कई अन्य शीर्ष नौकरशाह भी मौजूद रहे। दो सचिवों ने हाल के विधानसभा चुनावों में एक राज्य में घोषित एक लोकलुभावन योजना का जिक्र किया, जो आर्थिक रूप से खराब स्थिति में है। उन्होंने अन्य राज्यों में इसी प्रकार की योजनाओं की घोषणा का हवाला देते हुए कहा कि ये राज्य आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं। ऐसे वायदे राज्यों को श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकते हैं। माना जा रहा है कि सचिवों का इशारा आम आदमी पार्टी (AAP) द्वारा मुफ्त बिजली और प्रत्येक महिला को 1000 रुपए प्रति माह देने को लेकर था। बता दें, AAP ने भी चुनाव के समय पंजाब में फ्री के काफी वादे किए थे, फिर सरकार बनने के बाद CM भगवंत मान ने कहा था कि, पंजाब पर काफी कर्जा है, इसलिए उन्हें केंद्र सरकार से 2 सालों में 1 लाख करोड़ रुपया चाहिए।

उल्लेखनीय है कि श्रीलंका वर्तमान में इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। लोगों को ईंधन, रसोई गैस के लिए लंबी कतारों में लगना पड़ रहा है। जरूरी चीजों की आपूर्ति कम है। साथ ही लोग लंबे समय तक बिजली कटौती के कारण कई दिनों से परेशान हैं। इससे पहले मीटिंग के दौरान मोदी ने नौकरशाहों से कहा था कि कोरोना महामारी के दौरान सचिवों ने जिस प्रकार से साथ मिलकर एक टीम की तरह कार्य किया, उन्हें वैसे ही काम करना चाहिए। उन्हें भारत सरकार के सचिवों के तौर पर कार्य करना चाहिए न कि सिर्फ एक विभाग के प्रभारी के रूप में। उन्होंने सचिवों से सरकार की नीतियों में खामियों पर सुझाव देने के साथ फीडबैक देने के भी निर्देश दिए।

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