
महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा के कितने ही मामले आपने सुने और देखे भी होंगे. कई ऐसे मामले भी सामने आते हैं, जिनमें महिलाओं के साथ इतनी ज्याददती की जाती है, उनके साथ इतना मारपीट होती है कि उनकी मौत हो जाती है. जो बच जाती हैं, उनकी जिंदगी नरक जैसी हो जाती है और कई बार वह आत्महत्या ज्यादा कठोर कदम भी उठा लेती हैं. इसके बावजूद कर्नाटक के आधे से ज्यादा पुरुष और महिलाएं भी मानती हैं कि अगर महिला अपनी जिम्मेदारियां ठीक से नहीं निभाती है तो उसके साथ घरेलू हिंसा ठीक है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS) के आकड़ों में इसका खुलासा हुआ है. उनका मानना है कि जो जिम्मेदारियां महिलाओं की मानी जाती हैं, यदि वह उनको नहीं निभाती हैं तो उनके साथ मारपीट होना गलत नहीं है. यह डाटा केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याणा मंत्रालय ने जारी किया है. इसमें आधे के करीब महिलाओं और पुरुषों की सोच एक जैसी है. कर्नाटक में 76.9 फीसद महिलाएं और 81.9 प्रतिशत पुरुष महिलाओं से मारपीट को गलत नहीं मानते, जबकि पूरे देश के आंकड़े पर बात करें तो 45 फीसद महिलाएं और 44 फीसद पुरुष महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा को जायज ठहराते हैं
पति को बिना बताए बाहर जाए तो पीटना जायज!
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के इस डाटा में जनंसख्या, स्वास्थ्य और पोषण के मानकों पर देश के तमाम राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का डाटा रखा गया है. डाटा के अनुसार पति को बिना बताए बाहर जाने, खाना ठीक से न बनाने और पति को उसके चरित्र पर शक होने जैसे साधारण कारणों से भी मारपीट करना जायज ठहराया गया है.
संबंध बनाने से मना करने पर भी पीटने का अधिकार
बड़ी अजीब बात है कि बहुत से लोगों का यह भी मानना है कि अगल पत्नी शारीरिक संबंध (सेक्स) बनाने से मना कर दे तो पति को उसे पीटने का अधिकार मिल जाता है. आश्चर्यजनक बात यह है कि ऐसा मानने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है. 11 फीसद महिलाएं और 9.7 फीसद पुरुषों ने इस वजह से पत्नी के साथ मारपीट को जायज ठहरायाय.
बहुत जुबान लड़ाती है!
अक्सर यही कहते हुए महिला के साथ मारपीट हो जाती है कि बहुत जुबान लड़ाती है. 32 फीसद महिलाएं और 31 प्रतिशत पुरुषों को लगता है कि ससुराल वालों की इज्जत नहीं करने के कारण महिलाओं के साथ मारपीट होती है, जबकि 28 फीसद महिलाएं और 22 फीसद पुरुषों के अनुसार घर-परिवार और बच्चों की अच्छे से देखरेख नहीं करने के कारण उनके साथ हिंसा होती है. पति के साथ बहस करने की वजह से भी महिलाओं के साथ मारपीट का समर्थन करने में 22 फीसद महिलाओं और 20 फीसद पुरुषों ने हामी भरी. पति को धोखा देने के कारण महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा 20 फीसद महिलाओं और 23 फीसद पुरुषों को सही वजह लगती है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे – 4 से अब तक पुरुषों के व्यवहार में और ज्यादा अकड़ देखने को मिली है. जहां पहले सिर्फ 42 फीसद पुरुष लिस्ट में दिए गए 7 कारणों में से किसी भी कारण से महिलाओं के साथ मारपीट को जायज ठहराते थे, वहीं अब 44 फीसद पुरुषों को यह सही लगता है. हालांकि, राष्ट्रीय औसत में सुधार आया है. NFHS-4 में जहां 52 फीसद लोग इन कारणों से घरेलू हिंसा का समर्थन करते थे, वहीं अब यह आंकड़ा कम होकर 45 प्रतिशत पर आ गया है.
दक्षिण भारत में घरेलू हिंसा को समर्थन ज्यादा
इन आकड़ों से एक और चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया है कि उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिण भारत में महिला और पुरुष दोनों ही घरेलू हिंसा को जायज ठहराने में आगे हैं. तेलंगाना में 83.8 फीसद महिलाएं और 70.8 प्रतिशत पुरुष घरेलू हिंसा का समर्थन करते हैं. जबकि आंध्र प्रदेश में 83.6 फीसद महिलाएं और 66.5 प्रतिशत पुरुष घरेलू हिंसा को जायज ठहराते हैं और तमिलनाडु में 78.3 प्रतिशत महिलाएं और 56.2 फीसद पुरुष घरेलू हिंसा को गलत नहीं मानते.