युकां चुनाव में घटिया पैतरेबाजी से कांग्रेसी नाराज पार्षद, एल्डरमैन से लेकर संगठन से जुड़े लोगों पर बनाया जा रहा दबाव

नरेश सोनी

दुर्ग। युवक कांग्रेस चुनाव में जिस तरह से घटिया पैतरेबाजी को हथियार बनाया जा रहा है, उससे दुर्ग में कांग्रेस का एक बड़ा तबका बेहद नाराज बताया जा रहा है। युकां चुनाव में प्रदेश महासचिव व शहर अध्यक्ष पद के लिए खासतौर पर दबाव बनाए जाने की खबर हैं। प्रदेश महासचिव का चुनाव विधायक अरूण वोरा के पुत्र संदीप वोरा लड़ रहे हैं, जबकि शहर अध्यक्ष पद के लिए आयुष शर्मा के नाम पर नेताओं-कार्यकर्ताओं को धमकी-चमकी की भी जानकारी मिल रही है। इन दोनों को चुनाव जितवाने के लिए कई बड़े नेता किस हद तक जा सकते हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भाजपा से जुड़े लोगों से मेल-जोल कर उन्हें युकां चुनाव में वोटिंग के लिए गुहार लगाई जा रही है, ताकि संदीप व आयुष की राह आसान हो सके।
परिवारवादी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए दुर्ग के एक बड़े नेता जिस तरह से दबाव बनाने का खेल, खेल रहे हैं, उससे शहर के कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में गहन आक्रोश है। बताया जा रहा है कि संदीप वोरा व आयुष शर्मा को चुनाव जितवाने के लिए कई दौर की बैठकें लेने के बाद अब पार्टीजनों से दबावपूर्वक वोटिंग करवाने को कहा जा रहा है। इससे पहले कांग्रेस के अलग-अलग संगठनों की बाकायदा बैठक भी ली गई, मानों यह युवक कांग्रेस का चुनाव न होकर विधानसभा या लोकसभा का चुनाव हो। वर्तमान में पार्षद और एल्डरमैन से अपने-अपने क्षेत्रों के युवाओं के वोट डलवाने का फरमान जारी किया गया है। युकांध्यक्ष चुनाव लड़ रहे एक प्रमुख दावेदार ने इस पर बेहद सख्त लहजे में कहा,- युकां चुनाव लडऩे वाले सभी लोग कांग्रेस परिवार के सदस्य हैं। लेकिन जिस तरह से नगर निगम और संगठन से जुड़े लोगों को धमकी देकर परिवार विशेष के प्रत्याशी को वोट देने को कहा जा रहा है, वह आपत्तिजनक है। इस युवा नेता के मुताबिक,- कांग्रेस में यदि वास्तव में लोकतंत्र है तो दबाव की राजनीति क्यों की जा रही है? ऐसे में लोकतांत्रिक पद्धति से चुनाव करवाने का औचित्य क्या है?
कांग्रेस के एक पार्षद ने खुद मोबाइल से सम्पर्क कर कहा,- नेताजी को शायद यह लगने लगा है कि दुर्ग शहर और कांग्रेस पार्टी उनकी व्यक्तिगत सम्पत्ति है। शायद इसीलिए वे निर्वाचित पार्षदों को यह कहकर धमका रहे हैं कि अगली दफा टिकट के लिए सोचना पड़ सकता है। इस पार्षद का स्पष्ट कहना था,- डेढ़ साल बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। नेताजी को नहीं भूलना चाहिए कि हम पार्षद ही मतदाताओं और मतदान केन्द्र के बीच की अहम् कड़ी हैं। एक युकां नेता का कहना था,- २०२३ में विधानसभा चुनाव है और ये क्या तमाशा चल रहा है? कैसा निष्पक्ष चुनाव है? सिर्फ एक व्यक्ति विशेष के लिए कांग्रेस के संगठन को झोंका जा रहा है। आई टी सेल, ब्लाक अध्यक्ष, पार्षद, एल्डरमैन, पूरा संगठन यहां तक कि विरोधी पार्टी तक का सहयोग लिया जा रहा है। इस युकां नेता के मुताबिक,- आईटी सेल अध्यक्ष किसी एक प्रत्याशी का प्रचार कैसे कर रहे है? ऐसे में बाकी प्रत्याशी के मन मे क्या चलेगा? बाकी के प्रत्याशी और कांग्रेस समर्थकों के मनोबल को गिराया जा रहा है।
आयुष के नाम पर भारी नाराजगी
युकां सूत्रों के मुताबिक, पिछली दफा शहर विधायक, आयुष शर्मा को इसलिए अध्यक्ष बनवाने में कामयाब रहे क्योंकि चुनाव की बजाय मनोनयन हुआ था। लेकिन इस बार वोटिंग प्रक्रिया में आयुष के खिलाफ युकां कार्यकर्ताओं का आक्रोश चरम पर है। युकां नेता आरोप लगा रहे हैं कि अध्यक्ष बनने के बाद आयुष शर्मा ने पार्टी या संगठन हित में एक भी कार्यक्रम नहीं किया। बल्कि अध्यक्ष बनाए जाने के बाद वे पूरी तरह से नगर निगम के ठेके लेने में व्यस्त रहे। यहां तक कि एक साल तक कार्यकारिणी तक का गठन नहीं कर पाए। ब्रांडेड कपड़े पहनने और महंगी गाडिय़ों में घूमने वाले आयुष शर्मा ने कभी अपने मातहत नियुक्त युवाओं की पूछपरख नहीं की। आज आलम यह है कि आयुष के खिलाफ उन्हीं की कार्यकारिणी में रहे युवा चुनाव मैदान में उन्हें चुनौती दे रहे हैं। शहर में युवा संगठन से जुड़े लोग व्यापक स्तर पर आयुष शर्मा से नाराज हैं, बावजूद इसके शहर विधायक इसी आयुष शर्मा के लिए न केवल तगड़ी लामबंदी कर रहे हैं, अपितु इसे अपनी नाक की लड़ाई भी बना चुके हैं। इतिहास गवाह है कि जिस पार्टी के युवा नाराज होते हैं, उसके प्रत्याशी का भगवान ही मालिक होता है। फिर वह युकां चुनाव हो या फिर विधानसभा का।

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