जिन लोगों को लड़वा रहे हो, उन्हीं के सहारे जीत भी लेना… युकां चुनाव में छलका युवाओं का दर्द; कहा,- निष्ठा और समर्पण के कोई मायने नहीं

नरेश सोनी
दुर्ग। युवक कांग्रेस चुनाव में जिस तरह का भौड़ा प्रदर्शन सत्ता और संगठन से जुड़े नेताओं द्वारा किया जा रहा है, उसने युवाओं को भीतर तक लहूलुहान कर दिया है। समस्या यह है कि पीडि़त युवा अपना दर्द भी नहीं बता पा रहे हैं। कई युवक चुनाव में अपनाई जा रही निम्नस्तरीय पैतरेबाजियों से बेहद आक्रोशित हैं और खुलेआम चुनौती दे रहे हैं कि नेताजी, जिन लोगों को चुनाव लड़वा रहे हो, उन्हीं के सहारे खुद भी जीत जाना…। हालांकि ये नेता पद्मनाभपुर कांग्रेस की बजाए भूपेश कांग्रेस के लिए काम करने की बात भी कर रहे हैं।
दुर्ग में युवक कांग्रेस चुनाव के लिए वैसे तो कुल २२ प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं, लेकिन प्रदेश संगठन के लिए कई युवा अपने-अपने स्तर पर लगे हुए हैं। इन युवाओं को न पार्षदों, एल्डरमैनों का समर्थन मिल पा रहा है, न ही शहर जिला संगठन के लोगों से। अलबत्ता, इन युवाओं को नसीहत दी जा रही है कि वे या तो सरेंडर कर दें या फिर चुप बैठ जाएं। ऐसे में चुनावी भाग्य आजमाने वाले युवाओं का सबसे बड़ा सवाल यह है कि फिर चुनाव के नाम नौटंकी क्यों की जा रही है? प्रदेश संगठन का चुनाव लड़ रहे एक युवा का दर्द छलका। उसने कहा,- आज तक सिर्फ कांग्रेस के लिए काम किया। पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ… लेकिन अब महसूस हो रहा है कि मैं कहीं भाजपाई तो नहीं, कि सभी कन्नी काट रहे हैं। वार्डों में वोटिंग हेतु आने के लिए भी मना किया जा रहा है…। युवा नेता का कहना था,- एक व्यक्ति की नाजायज जिद आज कांग्रेस के समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ताओं पर भारी पड़ रही है, लेकिन कोई कुछ नहीं बोल रहा है।
ऐसा नहीं है कि जिन लोगों को बाकायदा टॉरगेट देकर सदस्यता और वोटिंग कराने को कहा गया है, वे नाखुश नहीं है। वे भी इस तरह की नाजायज और जबरदस्ती की सदस्यता की खिलाफत कर रहे हैं। पर हकीकत यही है कि वे कुछ बोल नहीं पा रहे हैं। उनके भीतर भी एक तरह का आक्रोश है। आक्रोश इस बात पर भी है कि स्थानीय विधायक के प्रदेश महासचिव का चुनाव लड़ रहे पुत्र को सीएम भूपेश बघेल का कैंडिटेट बताया जा रहा है। इसी पद के लिए चुनाव लड़ रहे एक प्रत्याशी को इस बात पर कड़ी आपत्ति है। वे कहते हैं,- छत्तीसगढ़ के सभी कांग्रेसी सीएम कका के हैं। युकां चुनाव लडऩे वाले भी पार्टी और सीएम के निष्ठावान हैं। फिर किसी एक प्रत्याशी को भला सीएम अपना कैंडिटेट कैसे बना सकते हैं? ऐसा सोचना भी जायज नहीं होगा। युवा प्रत्याशी का कहना था,- वोट कबाडऩे और दबाव की राजनीति करने के लिए ही संदीप वोरा को सीएम का कैंडिटेट बताया जा रहा है।
कई प्रत्याशी ऐसे भी हैं, जो पार्टी संगठन से हताश-निराश होकर अब सामाजिक संगठनों की शरण में हैं। वे अपने समाज के अग्रजों से मिल रहे हैं और समर्थन मांग रहे हैं। ऐसे ही एक प्रत्याशी का साफ कहना था,- जो व्यवहार हमारे साथ किया जा रहा है, उसके बाद २०२३ में दुर्ग में काम करना संभव नहीं होगा। हमारे नेता भूपेश बघेल हैं और हम उनसे दूसरे क्षेत्रों में काम करने की गुजारिश करेंगे। इस प्रत्याशी ने कहा,- १५ साल के लम्बे इंतजार के बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है। हम नहीं चाहते कि फिर से पार्टी को सत्ता से महरूम होना पड़े। भूपेश बघेल अगली दफा फिर सीएम बनेंगे। सभी कार्यकर्ता उनके साथ हैं। …लेकिन जिन लोगों की वजह से पार्टी का कबाड़ा हो रहा है, उनके लिए समर्पण अब संभव नहीं है।
शहर युकांध्यक्ष पद के लिए सुबह से रात तक पसीना बहा रहे एक प्रत्याशी ने चर्चा के दौरान कहा,- जिन लोगों का अभी कुछ समय पहले तक कांग्रेस से वास्ता नहीं था, उसे पहले अध्यक्ष मनोनीत करवा दिया गया। अब उसी के लिए तगड़ी लामबंदी की जा रही है। ऐसे लोगों के लिए पूरी कांग्रेस और अनुशांगिक संगठन लगे हुए है। संगठन को पूर्णकालिक अध्यक्ष की दरकार है, ताकि मिशन २०२३ में नैय्या पार लग सके। लेकिन अध्यक्ष मनोनीत होने के बाद जिनका पूरा ध्यान संगठन की बजाए ठेकेदारी पर लगा रहा, उससे भविष्य में नतीजों की उम्मीद रखना बेमानी होगा। इस प्रत्याशी का कहना था,- कुछ लोगों के इशारों पर हमारे साथ अछूतों सा व्यवहार किया जा रहा है। कई लोग मुंह पर कह रहे हैं कि हम बागी हैं। संगठन का चुनाव सबके लिए है। कोई भी लड़ सकता है। यही तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया है।