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विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस पर दी गई जानकारी

दिनेश दुबे
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*विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस पर दी गई जानकारी
बेमेतरा === मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ खेमराज सोनवानी  एवं सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक डॉ वंदना भेलेे के निर्देश पर नोडल अधिकारी जिला मानसिक स्वास्थ्य बेमेतरा डॉ के के मेश्राम के मार्गदर्शन पर विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस पर  जिला चिकित्सालय की मानसिक स्वास्थ्य की टीम द्वारा बेरला में मितानिन ट्रेनर्स द्वितीय बेच को सिजोफ्रेनिया के बारे में जानकारी दी गई, जिसमें बताया गया के यह एक प्रकार से मानसिक रोग का प्रकार है जिसे उचित परामर्श व इलाज से ठीक किया जा सकता है  *डॉ शुचिता गोयल द्वारा बताया गया कि यह एक प्रकार मानसिक रोग ही है जिसमें व्यक्ती का व्यवहार परिवर्तन हो जाता he ,जिसमें वह खुद को सबसे अलग समझने लगता है,  एवं इसको चेहरे से प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है ,साथ ही रोगी व्यक्ती समझता है की उसे कोई अपनों से ही खतरा है और  व्यावहार में परिवर्तन हो जाता है ,लोगों में अनेक प्रकार की भ्रांतियां भी है जैसे कि ये पूर्व जन्म के पाप है ,जो सरासर गलत है  ,यह सिर्फ मानसिक रोग का एक रूप है  ,सिविल सर्जन डॉ वंदना भैले द्वारा बताया गया कि जिला चिकित्सालय में  सिजोफ्रेनिया  के मरीजों की संख्या 50 के लगभग है जो कई ठीक हो चुके है और कई लोगों का इलाज चल रहा है 
*सिजोफ्रेनिया ऐसी मानसिक बीमारी है, जिसमें वास्तविकता से अलग काल्पनिक दुनिया में मरीज जीने लगते हैं। मानसिक रोगों में सात फीसदी मरीजों को ये बीमारी होता है
मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल डॉ. के के मेश्राम ने बताया कि हर साल  मई को विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस मनाया जाता है। मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की ओपीडी में मरीज आ रहे हैं। इसमें सिजोफ्रेनिया के करीब सात फीसदी मरीज हैं। इनकी उम्र 20 साल से अधिक की है।
इस बीमारी में मरीज वास्तविक दुनिया से अलग काल्पनिक जीवन जीने लगता है। भ्रम में रहते हैं। खुद को ताकतवर, अमीर तो कभी बड़ी-बड़ी बातें करने लगते हैं। हालत गंभीर होने पर ये अपनों से खुद को जान का खतरा महसूस करने लगते हैं। ऐसी स्थिति पर मरीज को चिकित्सक को दिखाना जरूरी है।
*वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. शुचिता गोयल का कहना है कि शुरुआत में सिजोफ्रेनिया के मरीजों के लिए ही मानसिक रोग के अस्पताल खोले गए थे। ऐसे ही मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर उपचार किया जाता था। इसके बाद अन्य मानसिक बीमारियां भी लोगों में पनपने लगी, जिससे मरीजों की संख्या बढ़ने लगी। सिजोफ्रेनिया बीमारी के जेनेटिक और अज्ञात कारण हैं। व्यक्ति में लक्षण दिखने पर उसका मानसिक रोग विशेषज्ञ से उपचार करवाना चाहिए।
**क्या है सिजोफ्रेनिया
सिजोफ्रेनिया मेंटल हेल्थ से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसका असर व्यक्ति के व्यवहार और भावनाओं पर पड़ता है। इस बीमारी में मरीज अपने मन के भाव चेहरे पर प्रकट नहीं कर पाता है। आंकड़ों के मुताबिक, प्रति एक हजार लोगों में से तीन लोग इस बीमारी के शिकार होते हैं। इसमें व्यक्ति को लगता है कि कोई उसे मारना चाहता है। उसके खिलाफ कोई साजिश चल रही है और सभी लोग मिले हुए हैं। ऐसी ही कई अन्य लक्षण इन मरीजों में मिलते हैं।  उक्त कार्यशाला का संचालन मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के गोपिका जायसवाल नर्सिंग ऑफिसर,प्रीति जांघेल सोशल वर्कर द्वारा मितानिनों को ट्रेनिंग  दी गई

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