
रायगढ़..निगम प्रशासन के द्वारा शहर की व्यवस्था को सुधारने के लाख दावे किए जाते हों,परंतु निगम भवन से महज २०० मीटर की दूरी पर स्थित संजय कांप्लेक्स व्यवसायिक परिसर का बदहाली सारे पोल खोल देती है।
खास कर बारिश के दिनों में अगर एकाध घंटे भी तेज बारिश हो जाती है तो संजय कांप्लेक्स नजारा देखते ही बनता है।
कांप्लेक्स परिसर के आसपास से गुजरने वाली बड़ी छोटी नालियों से बजबजाती गंदगियां नाली बारिश के पानी साथ पूरे कांप्लेक्स परिसर में फैल कर तलाब का आकार ले लेती हैं। ऐसा पिछले दो दशकों से हर साल की बारिश में होता है।
कहने को तो संजय कांप्लेक्स रायगढ़ शहर का एकमात्र सबसे पुराना सब्जी और दैनिक बाजार है। यहाँ से दर्जनों दुकानदारों और सैकड़ों सब्जी/फल विक्रेताओं का कारोबार चलता है। उतनी ही संख्या में गरीब ग्रामीण पसरा लगाकर अपना जीवन यापन करते है। शहर के बीच में स्थिति इस कांप्लेक्स से प्रतिदिन हजारों की संख्या में आम शहरी और ग्रामीण नागरिक फल, सब्जी भाजी से लेकर दैनिक जरूरतों का सामान खरीदते है।
इसके बावजूद कॉप्लेक्स से प्रतिवर्ष लाखों/करोड़ो का रुपए का राजस्व वसूलने वाला निगम प्रशासन complex की साफ सफाई और सुव्यवस्था को लेकर हमेशा गैर जिम्मेदार बना रहता हैं स्थानीय कारोबारियों की माने तो विगत 3 से 4 साल पहले नगर निगम प्रशासन के द्वारा कॉप्लेक्स की नालियों की साफ सफाई व दवा का छिड़काव करवाया गया था। इस बाद से आज तक सिर्फ कागजी बातें ही होती रही।
इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए तब यह तय किया गया था कि हर महीने की एक तारीख को सब्जी मंडी को बंद रखकर कॉप्लेक्स की साफ सफाई करवाई जाएगी। इस फैसले को सब्जी व्यपारियों ने अपना जबरदस्त समर्थन देते हुए आज तक महीने की पहली तारिख को स्वतःसब्जी बाजार बंद रखने लगे है। इस दिन निगम प्रशासन किस तरह की साफ.सफाई करता है उसकी पोल आज मुश्किल से आधे घंटे की तेज बारिश ने वापस से खोल दी है। बारिश के दौरान पूरा कॉप्लेक्स परिसर एक गंदे बदबूदार तालाब के रूप में बदल गया।
कॉप्लेक्स की ताजा तस्वीरों को देख कर आप अंदाजा लगा सकते है कि निगम प्रशासन शहर और कॉप्लेक्स की साफ_सफाई को लेकर कितना गंभीर है?
वैसे कॉपलेक्स में इस तरह की स्थितियों के नियमित बनने से व्यपारी वर्ग तो परेशान है ही साथ ही आम जनता भी त्रस्त हो चुकी है।
बारिश के पूर्व कॉप्लेक्स की सफाई को लेकर चेम्बर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियो ने आयुक्त महोदय से चर्चा की थी। परंतु कोरे आश्वासन के बावजूद किसी तरह की स्पष्ट कार्य योजना का नही बन पाना समझ से परे है।
