
जान्हवी कपूर की दमदार अदाकारी ने जीता दिल, मौत से दो दो हाथ करती दिखी ‘मिली’
करियर की तीसरी रीमेक
फिल्म ‘मिली’ जान्हवी के करियर की तीसरी रीमेक फिल्म है। मलयालम फिल्म ‘हेलेन’ की इस रीमेक में मिली की कोशिश कनाडा जाकर बतौर नर्स अपना जीवन आगे बढ़ाने की है। पिता आज के जमाने का है। बेटी को उड़ने के लिए आसमान देता है। बस उसकी अपनी कुछ कमजोरियां हैं, जो शायद हर पिता की होती ही हैं। नौकरी उसकी जहां लगी है, वहां एक दिन वह मानवीय चूक से बड़े से डीप फ्रीजर (एक कमरेनुमा फ्रिज जिसके भीतर पूरा इंसान जाकर सामान रखता निकालता है) में बंद हो जाती है। सब कुछ बंद हो चुका है। उसकी आवाजें, उसकी गुहार सुनने वाला कोई नहीं। यहां मिली का खुद को जिंदा रखने का संघर्ष चल रहा है तो बाहर नए दौर की दुनिया का पुराने ख्यालों के लोगों से संघर्ष चल रहा है। 21वीं सदी के 22वें साल में भी अगर देश की पुलिस की सोच नहीं बदली है तो कमी उनकी वर्दी का रंग एक जैसा होने की नहीं है, कमी इनकी पुलिस की नौकरी करने के पीछे की सोच की है।
फिल्म की हीरो जान्हवी कपूर
जान्हवी कपूर ही फिल्म ‘मिली’ की हीरो हैं। बाकी सब सहायक कलाकार हैं। जान्हवी ठीक ही कहती हैं कि श्रीदेवी की बेटी होने का फायदा जितना उनको मिलना था मिल चुका, अब बारी उनके हुनर के इम्तिहान की है। इस इम्तिहान में जान्हवी फिल्म ‘मिली’ में सम्मानसहित अंकों के साथ उत्तीर्ण हुई हैं। तारीफ इस बात की करनी होगी कि जान्हवी को जो किरदार मिलता है, वह उसके रंग में खुद को आसानी से सराबोर कर लेती हैं। फिल्म शुरू होने के कुछ ही देर बाद जान्हवी परदे पर जान्हवी दिखना बंद हो जाती हैं और यही उनके अभिनय की सबसे बड़ी जीत है। मिली का किरदार आसान नहीं है। उसका संघर्ष वैसा ही है जैसा किसी बर्फीले पहाड़ के किसी पतली सी दरार में फंसे इंसान का होता है। विपरीत परिस्थितियों में अकेले फंसे इंसान का खुद को जिंदा रखने का संघर्ष सिनेमा का पसंदीदा विषय रहा है। ऐसी फिल्मों में अपनी छाप छोड़ जाने वाले कलाकारों में अब जान्हवी का नाम भी शामिल हो चुका है।
सहायक कलाकारों ने निराश किया
फिल्म ‘मिली’ की सबसे बड़ी कमजोरी है इसकी सपोर्टिंग कास्ट। सनी कौशल की जगह किसी नए चेहरे को लेने से फिल्म की ताजगी बढ़ सकती थी। सनी कौशल की फिल्म निर्माताओं तक अपने पिता स्टंट निर्देशक शाम कौशल के चलते सीधी पहुंच है और इसी वजह से उन्हें इस तरह के किरदार में ले लिया जाए, ये ठीक नहीं दिखता। इस किरदार की जो जरूरत है, उसे पूरा करने में सनी विफल रहे। यही हाल विक्रम कोचर, मनोज पाहवा और संजय सूरी के किरदारों का है। तीनों ने सिर्फ खानापूरी की है। हां, अनुराग अरोड़ा और हसलीन कौर का अभिनय प्रभावित करता है और ये दोनों ही फिल्मों को ठीक ठाक सहारा भी देते हैं।
