
दुर्गापुर कोयला खदान क्षेत्र में जमीन खरीदी पर बिक्री लगाई गई रोक…
दुर्गापुर कोल ब्लॉक का आवंटन एसईसीएल को किया गया था। इसका धारा 9(1) और धारा 11(1) का प्रकाशन 2016 में हो चुका है। अब तक इसके प्रभावित गांवों दुर्गापुर, शाहपुर, धरमजयगढ़, धरमजयगढ़ कालोनी, तराईमार, बायसी और बायसी कॉलोनी की 1677 हे. भूमि पर खरीदी-बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगा था।
रायगढ़ । एसईसीएल को धरमजयगढ़ का दुर्गापुर कोयला खदान आवंटित है। वर्ष 2016 में धारा 11 प्रकाशन के बाद भी प्रभावित गांवों में जमीन खरीदी-बिक्री पर रोक नहीं लग सकी थी। भू स्वामियों द्वारा मुआवजा अधिक पाने की लालच में आबादी बसाहट के लिए गोदाम, दुकान घर फार्म हाउस तक बना दिए थे, ऐसे में अब इन परिस्थितियों को देखते हुए धरमजयगढ़ एसडीएम ने अब इसका आदेश जारी कर दिया है। जिसमें खदान प्रभावित सात गांवों और आवासीय बसाहटों में जमीन बिक्री नहीं हो सकती।जबकि इन गांव में करीब 1677 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है।
दुर्गापुर कोल ब्लॉक का आवंटन एसईसीएल को किया गया था। इसका धारा 9(1) और धारा 11(1) का प्रकाशन 2016 में हो चुका है। अब तक इसके प्रभावित गांवों दुर्गापुर, शाहपुर, धरमजयगढ़, धरमजयगढ़ कालोनी, तराईमार, बायसी और बायसी कॉलोनी की 1677 हे. भूमि पर खरीदी-बिक्री पर प्रतिबंध नहीं लगा था। एसडीएम डिगेश पटेल ने जमीन दलालों की सक्रियता बढ़ने के पहले ही प्रभावित भूमि के क्रय-विक्रय पर रोक लगा दी है। विदित हो कि जमीन अधिग्रहण होने की सूचना से पहले ही भूमाफिया व ग्रामीण जन अधिक मुआवजा राशि पाने की लालसा लेकर सरकार को चुना विभिन्ना तरीके से लगाते है।जिसमें जमीन के कई टुकड़े कर मुआवजा लेने की फिराक में रहते है। इसके अलावा निर्माण का आंकलन खेती हर भूमि पेड़ पौधे की राशि भी मुआवजा में अधिक जुड़ता है ऐसे स्थिति को देखते हुए ग्रामीण जन दलालों से सेटिंग कर जमीन में विभिन्न निर्माण करते है यही स्थिति पिछले कुछ सालों से बनी हुई थी। जिसमें दुकान गोदाम मुर्गी फार्म, मछली पालन के लिए तालाब तक बनाया जा रहा था। इन स्थितियों को देखते हुए लगातार शिकायत भी मिल रही थी ऐसे में बीते दिन एसडीएम ने खरीदी बिक्री पर रोक लगा दी है।
तमनार में महाजेंको के कोल ब्लॉक और रेल लाइन के लिए होने वाला भू-अर्जन मुश्किल में फंस गया है। जिन जमीनों का अधिग्रहण होना था, उनकी टुकड़ों में रजिस्ट्री हो चुकी है और उस पर निर्माण भी हो चुके हैं। अब भू-अर्जन के पूर्व जांच की जा रही है। इसमें कई बाहरी लोगों और जमीन दलालों की भूमिका सामने आ रही है। जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उन्हें देखकर अधिकारी भी हैरान हैं। अगर निर्माण का मुआवजा दिया गया तो महाजेंको को 500 करोड़ का नुकसान हो सकता है। इसमे जांच का आदेश भी दिया गया है लेकिन जांच अधर में है।
देखा जाए तो समय पूर्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इन वस्तू स्थिति से वाफिक होने के बाद भी उदासीनता की चादर ओढ़ बैठे रहते है। इसकी वजह से बाद में जब कम्पनी मुआवजा देती है तब कई तरह के रोड़ा आती है, हितग्राही कोर्ट तक चले जाते है ऐसे में मामला लंबित होते ही प्रस्तावित परियोजना को मटियामेट तक कर देता है।