तरबूज की खेती से किसान हो रहे आत्म निर्भर
तरबूज की खेती से किसान हो रहे आत्म निर्भर
महानदी के तरबूज अन्य राज्यो के आलावा विदेश तक जा रहे है
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
फागुलाल रात्रे, लवन।
क्षेत्र के कई गांव के किसान तरबूज और खरबूज, ककड़ी और सब्जी की खेती कर आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे है। पहले कुछ जगहों पर खेती की जाती थी अब डांेगरीडीह महानदी के पाल कछार से लगे ग्राम डोंगरा, तिल्दा, लाटा, सिंघारी, पैसर, चंगोरी सहित कई गांव के किसान महानदी में तरबूज की खेती करके आर्थिक रूप से आत्म निर्भर हो रहे है। पहले एक दो गांव के किसान ही तरबूज की खेती करते थे। धीरे-धीरे उनकी बढ़ती आमदनी को देखकर गांव के 50 प्रतिशत आबादी के लोग तरबूज की खेती करने लगे है। इससे किसानों की आमदनी में भी दोगूनी से भी अधिक बढ़ोतरी हुई है। खेती के संबंध में ग्राम डोंगरा के किसान शिव वर्मा ने बताया कि वे पिछले 23 सालों से तरबूज की खेती करते चले आ रहे है। इन 23 सालों में उन्हें केवल 3 साल ही अधिक बारिश हो जाने की वजह से नुकसान झेलना पड़ा, बाकि 20 सालों में काफी अच्छी कमाई होना बताया। वर्मा ने बताया कि महानदी में काम करने के लिए डोंगरा, तिल्दा, डोंगरीडीह, चांटीपाली, लाटा, सिंघारी सहित आसपास गांव के मजदूर काम करने के लिए आते है। एक मजदूर को एक दिन में 500 से 600 तथा 700 रूपये तक की कमाई हो जाती है। उन्होंने बताया कि पहले डोंगरा के कुछ ही किसानों के द्वारा तरबूज की खेती किया जाता था। धीरे-धीरे आमदनी में वृद्वि को देखकर गांव के लगभग 50 प्रतिशत किसान डोंगरीडीह महानदी के पाल कछार में तरबूज की खेती कर अपनी आय में वृद्वि कर रहे है। किसान वर्मा ने बताया कि उनका तरबूज लेने के लिए दिल्ली, बम्बई, श्रीनगर, गुजरात, बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के अलावा अन्य देश दुबई तक हमारा तरबूज जा रहा है। उन्होंने बताया कि तरबूज की खेती में लागत से दोगूना से तिगुना कमाई होता है। लेकिन वर्तमान मे मौसम की मार को झेलना पड़ रहा है। मौसम की स्थिति को देखते हुए व्यपारी तरबूज लेने नहीं पहुंच रहे है। 90 दिन से अधिक होने की वजह से तरबूज पककर खराब हो रहे है। यदि सही समय पर तरबूज को नहीं निकाला गया तो निश्चित तौर पर सभी किसानों को तरबूज से नुकसान झेलना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि बीते एक सप्ताह से मौसम की वजह से तरबूज लेने बाहर से व्यापारी नहीं आ रहे है, केवल लोकल में ही बिक्री हो रही है। बीते वर्ष सही समय में तरबूज निकल जाने से अच्छी कमाई हो गई थी। लेकिन इस वर्ष अचानक से मौसम में परिवर्तन होने से खरीददार तरबूज लेने नहीं पहुंच रहे है। इससे किसानों की चिन्ता बढ़ गई है। वही, तरबूज को कीट प्रकोप से बचाने के समय-समय पर दवाई का छिड़काव भी किया जा रहा है। फिलहाल मौसम खुलने का इंतजार है। मौसम खुलते ही खरीददार आने की संभावना है।