ग्राम कोरदा में भव्य कलश यात्रा के साथ भागवत कथा का हुआ शुभारंभ

बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
ग्राम कोरदा में हेमन्त वर्मा एवं श्रीमती रूखमणी वर्मा द्वारा आयोजित संगीतमय श्रीमद भागवत महापुराण सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ कथावाचक पंडित तिलेश्वर नाथ तिवारी एवं परायणकर्ता भुनेश्वर नाथ तिवारी सागर वाले की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। मानव कल्याण के लिए ग्राम कोरदा के वर्मा परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत महापुराण सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिवस भव्य कलश यात्रा एवं सम्पूर्ण गांव का भ्रमण करते हुए कलश स्थापना के साथ कथा प्रारंभ हुआ। भागवत कथा के पहले दिन ध्रुव चरित्र, दूसरे दिन महिषासुर कथा, तीसरे दिन सुरथ समाधि कथा, चौथे दिन सुकन्या कथा, पांचवे दिन मां शताक्षी एवं शिव चरित्र कथा, छठवे दिन तुलसी विवाह कथा, लख्मी देवी कथा, सातवे दिन सदाचार वर्णन, पूर्वक कथा का वर्णन किया कथा वाचक के द्वारा किया जावेगा।
आरती के साथ शुरू किए गए श्रीमद भागवत कथा में तिलेश्वर नाथ तिवारी सागर वाले महराज ने उपस्थित श्रद्वालुओ को सर्वप्रथम इसकी महिमा से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि विश्व में सभी कथाओ में ये श्रेष्ठ मानी गई है। जिस स्थान पर इस कथा का आयोजन होता है, वो तीर्थ स्थल कहलाता है। इसे सुनने एवं आयोजन कराने का सौभाग्य भी प्रभु पे्रमियों को ही मिलता है। ऐसे में अगर कोई दूसरा अन्य भी इसे गलती से भी श्रवण कर लेता है, तो ओ भी कई पापो से मुक्ति पा लेता है। इसलिए सात दिन तक चलने वाली इस पवित्र कथा को श्रवण करके अपने जीवन को सुधारने का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। अगर कोई सात दिन तक किसी व्यवस्तता के कारण नहीं सुन सकता है तो वह दो तीन या चार दिन ही इसे सुनने के लिए अपना समय अवश्य निकाले। तब भी वह इसका फल प्राप्त करता है, क्योंकि ये कथा भगवान श्री कृष्ण के मुख वाणी है, जिसमें उनके अवतार से लेकर कंस वध का प्रसंग का उल्लेख होने के साथ साथ इसकी व्यक्ति के जीवन में महत्ता के बारे में भी बताया गया है। इसके सुनने के प्रभाव से मनुष्य बुराई त्याग कर धर्म के रास्ते पर चलने के साथ साथ मोक्ष को प्राप्त करता है। महराज ने बताया कि इस कथा को सबसे पहले अभिमन्यु के बेटे राजा परीक्षित ने सुना था, जिसके प्रभाव से उसके अंदर तक्षक नामक नाग के काटने से होने वाली मृत्यु का भय दूर हुआ और उसने मोक्ष को प्राप्त किया था। इस भागवत कथा को सफल बनाने में भूपेन्द्रनाथ सुरेन्द्र, केदारनाथ, वासुदेव, महेन्द्र, नरेन्द्र एवं महिलाओं में मीना बाई वर्मा, श्रीमती प्रमिला बाई वर्मा, प्यारी वर्मा, धात्री वर्मा, सोनिया वर्मा, नेहा वर्मा, शशिभूषण वर्मा सहित ग्रामीणों का सहयोग मिल रहा है।

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