क्या दलाल चला रहे हैं परिवहन विभाग को ?

रायगढ़ : सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार परिवहन विभाग में आजकल हितग्राही स्वयं जाता है तो उसे कई नियमों का हवाला देकर कार्य करने से मना कर दिया जाता है या फिर कर्मचारियों द्वारा दलालों का नंबर दे दिया जाता है पिछले दिनों की बात करे तो पुसौर से आए एक व्यक्ति ने बताया कि मैं कई दिनों से परिवहन विभाग का चक्कर काट रहा हूं कभी किसी बहाने तो कभी किसी बहाने मेरे कार्य को टाल देते हैं जबकि मेरे द्वारा कई बार बोला गया है कि मेरे कागज को चेक करें और जो भी गलती है उसमें एक साथ बताएं ताकि मै ठीक करा कर लेकर आऊंगा लेकिन परिवहन विभाग की विडंबना यह है कि कम से कम 4 से 5 बार चक्कर काट लिया हूं फिर भी मेरा लाइसेंस अभी तक नहीं बना

वही एक और हितग्राही ने यह भी बताया कि पिछले दिनों एक दलाल मेरे ही सामने दो से तीन लाइसेंस के लिए पेपर कर्मचारियों को सौंपा. उसका कार्य हसानी से हो गया और उसे आश्वासन भी दिया गया कि दो से 3 दिन के बाद आप लाइसेंस आकर ले जाइए सवालिया भी उठता है कि बिना देखे बिना सोचे और बिना परीक्षण के यूं ही लाइसेंस प्रदान करना कहां तक उचित है जबकि जिले में आए दिन अगर सड़क दुर्घटना को देखा जाए तो लगभग 1 दिन में एक दुर्घटना से मौत हो जाती है फिर पुलिस और यातायात विभाग के लिए रोक पाना कठिन हो जाता है अगर पुलिस या यातायात पुलिस अगर सख्ती से पेश आते हैं तो परिवहन विभाग के लचीले और लापरवाही पूर्वक नियमों की वजह से दिए गए लाइसेस से कई लोग बच जाते हैं यातायात पुलिस के द्वारा इस बीच में जाकर स्कूलों में ट्रैफिक नियमों के बारे में विस्तृत जानकारी दिया जाता है जबकि वन विभाग के द्वारा ऐसी कोई एक्टिविटी या आयोजन नहीं देखने को मिलता जबकि जवाबदेही तो यातायात पुलिस के साथ ही साथ परिवहन विभाग की भी उतनी होती है

यह भी विडंबना रहा है कि परिवहन विभाग के द्वारा कोई ऐसी एक्टिविटी देखने को नहीं मिलती और ना ही परिवहन विभाग के द्वारा परिवहन से जुड़े वाहनों की जांच करते हुए देखा गया कुछ महीने पहले कलेक्टर के आदेश के बाद स्कूली बस का परीक्षण किया गया वह भी सिर्फ मात्र खानापूर्ति ही रहा क्योंकि जिले में इतने स्कूल संचालित होते हैं इसके बावजूद भी मात्र 40 से 50 ही बस की जांच की गई

सवाल यह भी बनता है कि स्कूल के संचालक अपने बस को परीक्षण के लिए इस्थिति दयनीय होंगी वह बस भेजेगा? या फिर क्या नशे में धुत रहने वाले ड्राइवर को ही परीक्षण के लिए भेजेगा? माह जून में स्कूली बस के परीक्षण के बाद कितने स्कूली बसों पर कार्रवाई की गई है? क्या स्कूल के संचालक कोई ऐसा बस नहीं भेजते जो परीक्षण से नहीं गुजरा हो? यह तो परिवहन विभाग ही बता पाएगा

मानो ऐसा लगता है कि परिवहन विभाग के कर्मचारियों ऐसी और पंखे में रहने की आदत पड़ गई है जो कुछ कार्य हो रहा है दलालों के द्वारा करवाया जा रहा है साधारण तौर पर अगर हितग्राही खुद लाइसेंस के आवेदन करता है तो लर्निंग लाइसेंस के लिए कुल खर्च 400 से 500 पड़ता है वही अगर कार्ड के साथ ले तो 1300 रूपये का खर्च जबकि दलालों के द्वारा एक लाइसेंस बनवाने के लिए 2000 के 25 सौ रुपए लेता है ऐसा इसलिए कहा जा रहा है की कार्यालय अवधि में कार्यालय के अंदर दलालों की सक्रियता समझ से परे है सूत्रों की माने तो हितग्राहियों से ज्यादा परिवहन विभाग में दलाल सक्रिय रहते हैं और उनकी चलती है इसके पीछे क्या कारण है यह जनता है सब समझती

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