न्यूज़रायगढ़हेल्थ

जेएसपी फाउण्डेशन जेपीएल तमनार द्वारा ’नेत्र शल्य चिकित्सा शिविर’ का आयोजन

166 हितग्राहियों का स्क्रीनिंग कर 66 वृद्धों का नेत्र शल्य चिकित्सा सम्पन्न

सामाजिक सरोकारों के निर्वहन में सदैव समर्पित जेएसपी फाउण्डेशन जेपीएल तमनार

तमनार -जेएसपी फाउण्डेशन जेपीएल तमनार अपने सामाजिक सरोकार निर्वहन अंतर्गत क्षेत्र के विभिन्न ग्रामों में शिक्षा, स्वास्थ्य, अधोसंरचना निमार्ण, पर्यावरण, खेल, कला एवं संस्कृति एवं समाजिक समावेश के अनेक लोकोपयोगी परियोजनाओं का संचालन कर क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में सदैव समर्पित है। इसी क्रम में क्षेत्र में निवासरत वृद्धजन, जो अपने ऑखों में मोतियाबिंद के कारण दृष्टिबाधित हैं। जिन्हें देख न पाने के कारण विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे जरूरतमंद वृद्धजनों के लिए ’नेत्र शल्य चिकित्सा शिविर’ का आयोजन फोर्टिंस ओ.पी. जिंदल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर, तमनार में किया गया। जिसमें क्षेत्र के 166 हितग्राहियों का स्क्रीनिंग कर 66 वृद्धों का मोतियाबिंद आपरेशन कर उनके दृष्टिबाधिता को दूर किया गया। और आज वे स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
एक सर्वें के अनुसार हमारे देश में 62.6 प्रतिशत नेत्रहीनता का कारण मोतियाबिंद है। भारत में 90 लाख से लेकर एक करोड़ बीस लाख लोग दोनों आंखों से नेत्रहीन है। हर साल मोतियाबिंद के 20 लाख नए मामले सामने आते हैं। लेकिन अत्याधुनिक तकनीकों ने मोतियाबिंद के ऑपरेशन को बहुत आसान और प्रभावी बना दिया है। इसका कारण है मोतियाबिंद सर्जरी के प्रति लोगों में विश्वास व जागरूकता के कारण भारत में मोतियाबिंद के कारण होने वाली नेत्रहीनता में 25 प्रतिशत की कमी आई है।
मोतियाबिंद क्या है- अगर आपको दूर या पास का कोई भी वस्तु कम दिखाई दे, गाड़ी ड्राइव करने में समस्या हो या आप दूसरे व्यक्ति के चेहरे के भावों को न पढ़ पाएं तो समझिए की आप की आंखों में मोतियाबिंद विकसित हो रहा है।
जब लेंस क्लाउडी हो जाता है तो लाइट लेंसों से स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाती, जिससे जो इमेज आप देखते हैं वो धुंधली हो जाती है। इसके कारण दृष्टि के बाधित होने को मोतियाबिंद या सफेद मोतिया भी कहते हैं। दरअसल उम्र का बढ़ने, डायबिटीज, अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन, सूर्य के प्रकाश का अत्यधिक एक्सपोजर, उच्च रक्तदाब, मोटापा, आंखों में चोट लगना और पारिवारिक इतिहास के कारण मोतियाबिंद होता है। डॉक्टरों के अनुसार चालीस वर्ष के पश्चात नियमित रूप से आंखों की जांच कराकर, सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों ऑखों को बचाकर, रंग-बिरंगे फलों और सब्जियों का सेवन, शराब व धुम्रपान छोड़ एवं डायबिटीज नियंत्रण कर मोतियाबिंद से बचा जा सकता है।
नेत्र शल्य चिकित्सा, रायगढ़ के सुप्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रीति सिंह, फोर्टिंस ओ.पी. जिंदल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर, रायगढ़ के द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ.यू.के.पति, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, ओ.पी. जिंदल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर, तमनार, श्री ऋषिकेष शर्मा, विभागाध्यक्ष सीएसआर विभाग, श्री राजेश रावत, डा.ॅ अश्विनी पटेल, डा.ॅ हेमेन्द्र साहू, जेपीएल तमनार की उपस्थित में सम्पन्न हुआ। इस सम्पूर्ण कार्यक्रम को सफल बनाने में फोर्टिंस ओ.पी.जिंदल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर, तमनार एवं टीम सीएसआर, जेपीएल के समस्त सदस्यों का योगदान सराहनीय रहा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button