
अमर शहीद कर्नल विप्पल्व त्रिपाठी का सफरनामा जिंदगी का
*सफरनामा- जिंदगी का
अमर शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी
सफरनामा जिंदगी का अमर शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सदस्य भारतीय संविधान सभा और रायगढ़ के प्रथम सांसद पंडित किशोरी मोहन त्रिपाठी के सुपौत्र शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी का जन्म 20 मई 1981 को रायगढ़ के जिला चिकित्सालय में हुआ। उनकी माता श्रीमती आशा त्रिपाठी और पिता श्री सुभाष चंद्र त्रिपाठी हैं। उनके छोटे भाई कर्नल अनय त्रिपाठी वर्तमान में कमांडेंट के तौर पर देशसेवा में लगे हैं। शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी की प्राथमिक शिक्षा शहर के कॉर्मल कॉन्वेंट स्कूल में हुई इसके बाद वह 1992-93 में सैनिक स्कूल में प्रवेश के लिए आयोजित अखिल भारतीय प्रतिस्पर्धा में उनका चयन सैनिक स्कूल रीवा में हुआ।
सैनिक स्कूल में 1992-93 से 1998-99 तक हायर सेकेंडरी स्कूल शिक्षा पूरी की। सैनिक स्कूल में रहते हुए उन्होंने बहुत सी शैक्षिणेत्तर गतिविधियों में भाग लिया। वर्ष 1994-95 में जब के कक्षा 8वीं के छात्र थे तब उनका चयन गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में सांस्कृतिक प्रस्तुति के लिए हुआ था। जिसमें उनके साथ उनके सहपाठी भी शामिल थे। सैनिक स्कूल में शिक्षा पूरी करने के बाद वर्ष 1999 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खडग़वासला पुणे में प्रवेश के लिए आयोजित अखिल भारतीय प्रतिस्पर्धा में उनका चयन हुआ। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में तीन वर्ष शिक्षा प्राप्त करने के बाद 2002 में वे पास आउट हुए और उन्हें भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में अध्ययन के लिए चयन किया गया। 2003 में आईएमए देहरादून से पास आउट होने के बाद उन्हें लेफ्टिनेंट के पद पर भारतीय सैन्य सेवा में कमीशन प्राप्त हुआ वह कुमाऊँ रेजिमेंट के ऑफिसर बने।
कमीशन प्राप्त करने के बाद ही उनकी पहली पोस्टिंग दुनिया के सबसे ऊंचे और खतरनाक युद्धक्षेत्र सियाचिन में की गई थी। लेह और सियाचिन में करीब 1 साल तक पदस्थ रहते हुए उन्होंने अपनी सेवाएं दीं। उसी दरम्यान उनकी पोस्टिंग पठानकोट में हुई। यहीं उन्हें कैप्टन के पद पर पदोन्नति दी गई। पठानकोट में करीब 2 वर्ष तक सेवाएं देने के बाद उन्हें कश्मीर वैली के खतरनाक पोस्ट कुपवाड़ा में पदस्थ कर वहां जनरल ऑफिसर ऑफ कमांड लेफ्टिनेंट जनरल बाजवा का एडीसी नियुक्त किया गया और महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गईं। यहां पदस्थ रहते हुए कर्नल विप्लव के मार्गदर्शन में भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ करने वाले 6 आतंकवादियों को मार गिराया था। उल्लेखनीय है कि कुपवाड़ा से पाकिस्तानी सीमा की दूरी बमुश्किल 10 से 12 किलोमीटर होगी। फिर इनकी पोस्टिंग राजौरी में हुई और सबसे कम उम्र में कश्मीर वैली के तीन कोर 14 , 15 और 16 में अपनी सेवाएं देने वाले शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी विरले अधिकारियों में से एक थे। कश्मीर वैली में करीब तीन वर्षों तक इन्होंने सेवाएं दीं।
राजौरी के बाद उन्हें मेजर के पद पर पदोन्नत करते हुए आईएमए देहरादून में इंस्ट्रक्टर के पद पर पदस्थ किया गया था। वहीं पदस्थ रहते हुए उनका विवाह बिलासपुर निवासी एसईसीएल के सेवानिवृत्त अधिकारी कैलाश नाथ शुक्ला श्रीमती रीता शुक्ला की बेटी अनुजा से हुई। आईएमए में पदस्थ रहते हुए ही उनकी यूनिट को संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना के लिए दक्षिण अफ्रीका के कांगों में भेजा गया जहां वे एक साल तक रहे। लौटने के बाद उनकी पदस्थापना लखनऊ में हुई। यहां पदस्थ रहते हुए ही उन्हें 5 फरवरी 2015 को पुत्ररत्न अबीर त्रिपाठी के रूप में प्राप्त हुआ। यहाँ से कर्नल विप्लव की उत्तर सिक्किम के दुर्गम क्षेत्र में पोस्टिंग हुई जहां एलएसी पर तैनाती मिली। इसके बाद 2016 में कर्नल विप्लव त्रिपाठी और उनके छोटे भाई कर्नल अनय त्रिपाठी दोनों का चयन एक साथ आर्मी स्टॉफ कॉलेज वेलिंगटन के लिए हुआ था। यहां उन्होंने स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा प्राप्त की थी और सफल हुए। वेलिंगटन में रहते हुए ही उन्हें कर्नल के पद पर पदोन्नत कर दिया गया था। यहां पढ़ाई पूरी करने के बाद इनको मथुरा स्ट्राइक कोर 1 में जनरल स्टाफ ऑफिसर 1 के रूप में पदस्थ किया गया। उसके बाद जुलाई 2019 में उनका चयन कमांड ऑफिसर के पद पर 46 असम राईफल्स आइजोल(मिजोरम) में हुआ। इनके पदस्थ होने से पहले मिजोरम मादक द्रव्यों और हथियारों के तस्करों का एक बड़ा केंद्र था जहां म्यांमार और बांग्लादेश के रास्ते हर साल अरबों रूपयों के मादक द्रव्यों और हथियारों की तस्करी होती थी। मिजोरम में कमान संभालने के बाद विप्लव ने सभी सरहदी क्षेत्रों का मुआयना किया और उसके बाद उन्होंने तस्करों के खिलाफ धड़ाधड़ कार्रवाई शुरू कर दी। उनकी कार्रवाई से तस्करों में हडक़ंप मच गया और उनका पूरा नेटवर्क तितर-बितर हो गया।
स्थिति यह थी कि जब करीब 2 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद कर्नल विप्लव की बटालियन को मिजोरम से मणिपुर भेजा जा रहा था तब मिजोरम में हथियार और मादक द्रव्यों की तस्करी पर पूरी तरह से लगाम लग चुका था। कर्नल विप्लव की इस उपलब्धि को देखते हुए वहां के राज्यपाल ने कर्नल विप्लव को न केवल पुरस्कृत और सम्मानित किया था बल्कि एक एन्टी ड्रग स्कॉड के गठन के लिए भी उन्हें जिम्मेदारी दी थी। आइजोल से जून 2021 में इनकी पूरी बटालियन को आतंकवाद प्रभावित इलाका खुगा में भेजा गया। मणिपुर में पदस्थ होने के बाद कर्नल विप्लव ने पाया कि मणिपुर में भी ड्रग और हथियारों की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है। तो यहां भी कर्नल विप्लव ने तस्करों के खिलाफ मिजोरम जैसी कार्रवाई शुरू कर दी। और मणिपुर में रहते हुए ही 2021 में राजभाषा पखवाड़ा के दौरान हिंदी भाषा के उपयोग को प्रोत्साहित करने असम राइफल्स के सभी 46 बटालियनों में एक विशेष अभियान चलाया गया। इन अभियानों में 46 असम राइफल्स के अभियान का चयन सर्वश्रेष्ठ के रूप में किया गया। जिसके लिए बाद में असम राइफल्स के रेजिंग डे के अवसर पर 46 असम राइफल्स को सम्मानित किया गया।
अपनी शहादत के कुछ ही दिन पहले उनकी टीम ने 40 करोड़ रूपये से अधिक कीमत के हेरोइन से लदे एक ट्रक को पकड़ लिया था। तस्करों ने ट्रक छोडऩे के लिए उन्हें करोड़ों रुपये के ऑफर दिए लेकिन उन्होंने इस ठुकरा दिया। कर्नल विप्लव की कार्रवाई मणिपुर में भी ड्रग और हथियार तस्करों के लिए नुकसानदेह साबित हुई। 12 नवंबर को कर्नल विप्लव अपनी पत्नी अनुजा और पुत्र अबीर के साथ म्यांमार सीमा से लगे बेहांग बॉर्डर पर स्थित भारतीय पोस्ट के निरीक्षण के लिए गए हुए थे। उनकी पत्नी अनुजा त्रिपाठी जो कि आर्मी वाइफ वेलफेयर एसोसिएशन की प्रमुख थी वे भी पोस्ट पर तैनात जवानों का कुशलक्षेम पूछने गई थीं। दूसरी सुबह 13 नवंबर को जब कर्नल विप्लव त्रिपाठी, पत्नी अनुजा त्रिपाठी,7 वर्षीय अबीर और अपने काफिले के साथ वापस अपने मुख्यालय लौट रहे थे तब बेहांग पोस्ट और दूसरी पोस्ट के बीच आतंवादी संगठनों द्वारा लगाए गए एंबुश में की जद में आ गए। अलगाववादियों ने आईडी लगाकर उनके पायलट वाहन को उड़ा दिया और उसके बाद दोनों तरफ से कर्नल विप्लव जिस वाहन में थे उसमें गोलियों की बौछार कर दी। तब भी कर्नल विप्लव त्रिपाठी अपनी कारबाइन और सर्विस रिवाल्वर की आखिरी गोली तक अलगवावादियों का मुकाबला करते रहे लेकिन अंतत: अपनी पत्नी अनुजा और पुत्र अबीर के साथ वीरगति को प्राप्त हो गए।


