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आज देश ने एक रत्न को खो दिया, अलविदा रतन टाटा जी भीगी पलकों से आपकी आवाज विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है

भीमसेन तिवारी संपादक आपकी आवाज रायगढ़ : आज जहां पूरा भारत मां शक्ति का पूजन करने में लगा है वही आज अष्टमी यानी महागौरी का पूजन किया जाता है औऱ आज ही सुबह सुबह जब आंखें खुली तो उस समय नम हो गई जब मेरी पत्नी ने बताया कि रतन टाटा जी नहीं रहे रतन टाटा जी एक नाम नहीं वे रत्न थे जिनका भरपाई या उस व्यक्तित्व का क्षतिपूर्ति  कोई नहीं कर सकता भारत में एक से एक बढ़कर उद्योगपति हुए हैं उन्होंने पैसा भी कमाया लेकिन जो रतन टाटा की थे उनके जैसा कोई उद्योगपति  नहीं हो सकता मान सम्मान भी काम आया अमीरी गरीबी का फर्क नहीं समझा जरूरत पड़ने पर देश के लिए खड़े भी हुए हालांकि मैं रतन टाटा के विषय में ज्यादा तो नहीं जानता लेकिन जितना पढ़ा हूं और जितना सुना हूं वह एक मिसाल हस्ती थे जिन्होंने देश को हर हालत में सर्वोपरि रखा उनके जाने के बाद आज मां भारती का भी आंखें नम हो गई होगी क्योंकि रतन टाटा ने जब जब देश पर मुसीबत या भी फिर विपता आई तब तब रतन टाटा को देश अपने साथ पाया है आज आपकी आवाज भी तहे दिल से रतन टाटा जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है

क्या है उनकी कहानी कब औऱ कहा हुआ था जन्म : रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 तों कल दिनांक –9 अक्टूबर 2024) रात 12बजे खबर की रतन टाटा जी नहीं रहे  भारतीय उद्योगपति  टाटा समूह और टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वे भारत की सबसे बड़ी व्यापारिक इकाई, टाटा समूह, के 1991 से 2012 तक अध्यक्ष थे। इसके अतिरिक्त, अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक वे समूह के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर विस्तार किया और कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए। 2000 में तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण प्राप्त करने के बाद, 2008 में उन्हें भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण मिला।[

रतन टाटा, नवल टाटा के पुत्र थे, जिन्हें रतनजी टाटा ने गोद लिया था। रतनजी टाटा, जमशेदजी टाटा के पुत्र थे और टाटा समूह के संस्थापक थे। उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर से आर्किटेक्चर में स्नातक की डिग्री हासिल की वह 1961 में टाटा में शामिल हुए, जहां उन्होंने टाटा स्टील के वर्क फ्लोर पर काम किया। बाद में 1991 में जेआरडी टाटा के सेवानिवृत्त होने पर वे टाटा संस के अध्यक्ष बने। उनके कार्यकाल के दौरान टाटा समूह ने टेटली, जगुआर लैंड रोवर और कोरस का अधिग्रहण किया, जिसका उद्देश्य टाटा को एक बड़े पैमाने पर भारत-केंद्रित समूह से वैश्विक व्यवसाय में बदलना था। टाटा एक समाज-सेवी व्यक्ति भी थे।

टाटा एक निवेशक थे और उन्होंने 30 से अधिक स्टार्ट-अप में निवेश किया, जिनमें से अधिकांश व्यक्तिगत क्षमता में और कुछ अपनी निवेश कंपनी के माध्यम से किए।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
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रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को ब्रिटिश राज के दौरान बॉम्बे, अब मुंबई में एक पारसी पारसी परिवार में हुआ था।[7] वह नवल टाटा के बेटे थे, जिनका जन्म सूरत में हुआ था और बाद में उन्हें टाटा परिवार में गोद ले लिया गया था। 1948 में, जब टाटा 10 वर्ष के थे, तब उनके माता-पिता अलग हो गए और बाद में उनकी दादी और रतनजी टाटा की विधवा नवाजबाई टाटा ने उनका पालन-पोषण किया और उन्हें गोद ले लिया।[8] नवल टाटा की सिमोन टाटा से दूसरी शादी से उनका एक छोटा भाई, जिमी टाटा[9] और एक सौतेला भाई नोएल टाटा था, जिनके साथ उनका पालन-पोषण हुआ।

टाटा ने 8वीं कक्षा तक मुंबई के कैंपियन स्कूल में पढ़ाई की। उसके बाद, उन्होंने मुंबई में कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, शिमला में बिशप कॉटन स्कूल और न्यूयॉर्क शहर में रिवरडेल कंट्री स्कूल में पढ़ाई की, जहां से उन्होंने 1955 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।हाई स्कूल के बाद, टाटा कॉर्नेल विश्वविद्यालय गए और वहां से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1959 में वास्तुकला में स्नातक की डिग्री। कॉर्नेल में रहते हुए, वह अल्फा सिग्मा फी बिरादरी में शामिल हो गए। 2008 में, टाटा ने कॉर्नेल को 50 मिलियन डॉलर का दान दिया, जिससे वह इतिहास में विश्वविद्यालय का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय दानकर्ता बन गया।

टाटा जी से लोगो के प्रेम का एक पहलू यह भी है:रतन टाटा के दादा जी जमशेदजी  टाटा के जन्मदिन पर जमशेदपुर में आम लोगों के लिए शाम को कुछ घंटे के लिए जमशेदपुर में पूरा होटल फ्री रहता है

जुबली पार्क को बिना टिकट आम आदमियों के लिए या फिर आम जनता के लिए खाने पीने के साथ पूरे लाइटिंग के साथ सजाया जाता है

कहते हैं कि कुछ लोग रतन टाटा के दादा जमशेदजी टाटा के याद यानि जन्मदिन पर अपनी लड़के,लड़कियों की शादी करने से आज भी परहेज करते है

रतन टाटा का हर क्षेत्र में योगदान : रतन टाटा का भारत के हर उन क्षेत्रों में योगदान रहा है जो देश केसाथ ही साथ हमारे आपके लिए जरूर रही है आप इसको इस तरह भी कह सकते हैं कि जन्म से लेकर मरने तक की हर जगह रतन टाटा का योगदान रहा है टाटा प्रबंधक ने देश विकास और देश हित के लिए हर संभव मदद करने का कोशिश किया है मान लीजिए की के लिए तैयार हो रहे है तों शर्ट पैंट भी टाटा का घड़ी भी टाटा का अगर आप ऑफिस के लिए निकल रहे तों गाड़ी भी टाटा का ऑफिस में जाकर जो कुर्सी पर बैठते हो कुर्सी भी टाटा का टिफिन भी टाटा का टिफिन से जो स्वाद का लुफ्त उठा रहे वे नमक भी टाटा का मशाला भी टाटा का ऑफिस से आकर घर में सुकून से बैठते हैं वह भी टाटा चाय भी टाटा का यूं कहे कि आपके सोने से लेकर उठने बैठने तक टाटा का निर्माण में भूमिका अदा कर रहा है सुरक्षा की दृष्टि से भी टाटा ने कई कदम उठाए अमीरी गरीबी का भेद हटाने के लिए सबसे सस्ती कार नैनो का भी निर्माण किया यू कहे की देश ने जितना टाटा को सम्मान दिया टाटा ने भी उतना ही देश को सर्वोपरि रखा और आज रतन टाटा की नहीं रहने पर  उनके कार्यों को नहीं बुलाया जा सकता

आज हमारे बीच नहीं रह रतन टाटा को मुंबई में राजकीय के साथ नरीमन पॉइंट पर  4:00 अंतिम संस्कार किया जा रहा है वही झारखंड सरकार और गुजरात सरकार ने राजकीय शोक  घोषित कर दिया है तो रात में ही मुंबई के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री अस्पताल पहुंचे थे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रतन टाटा को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है

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