
महाकुंभ 2025: आध्यात्म, आस्था और आधुनिकता का अद्भुत संगम
प्रयागराज। महाकुंभ 2025 की भव्यता अपने चरम पर है। समुद्र मंथन की दिव्यता अब डिजिटल युग में उतर आई है। गंगा किनारे 4,000 हेक्टेयर में बसा कुंभ नगर, आधुनिकतम तकनीकों और सनातनी परंपराओं का अनूठा संगम प्रस्तुत कर रहा है। जैसे ही रात होती है, रेती पर हजारों खंभों की जगमगाती रोशनी गंगा में अक्स बनाती है, मानो आसमान में आकाशगंगाओं की छवि उतर आई हो।
संतों का उत्सव: सनातन परंपरा का अनूठा नजारा
चारों ओर साधु-संतों की चहल-पहल है। कोई भगवा धारण किए है, तो कोई गेरुआ, सफेद या काले वस्त्रों में है। कहीं कथा हो रही है, कहीं गीता के श्लोक गूंज रहे हैं, तो कहीं संतों की तपस्या और योग प्रदर्शन श्रद्धालुओं को मोह रहा है। अखाड़ों में संतों का प्रवेश किसी दुल्हन के स्वागत जैसा भव्य है। फूलों की मालाएं, प्रसाद और भजन-कीर्तन से वातावरण भक्तिमय हो उठा है।
कल्पवास: एक माह का आध्यात्मिक प्रवास
हजारों कल्पवासी अपनी गृहस्थी समेटे यहां डेरा डाल चुके हैं। छोटे ट्रकों में राशन, बिस्तर और जरूरी सामान के साथ आए श्रद्धालु पूरे महीने गंगा तट पर रहकर साधना करेंगे। कुंभ मेला केवल अखाड़ों का आयोजन नहीं, बल्कि आस्था और आत्मशुद्धि का महासंगम है।
तकनीक और आध्यात्म का संगम
महाकुंभ 2025 पूरी तरह डिजिटल है। 600 किमी लंबी सड़कों, 30 पैंटून पुलों, AI ऑपरेटेड लाइटिंग और चैटबॉट्स जैसी सुविधाओं से कुंभ नगर सुसज्जित है। संतों के पास स्मार्टवॉच, हाई-टेक कॉटेज, मॉड्यूलर किचन और AC युक्त कुटियाएं हैं। सोशल मीडिया पर भजन-कीर्तन और संतों की वाणी लाइव प्रसारित हो रही है।
महाशाही स्नान की तैयारी
शाही स्नान की तैयारियां जोरों पर हैं। रथ सजे हैं, बैंड-बाजों की धुन सुनाई देने लगी है। अखाड़ों के धर्म ध्वज पूरे शहर से नजर आ रहे हैं। नागा साधुओं की तपस्या, हठयोगियों का प्रदर्शन और भव्य पेशवाई आयोजन कुंभ को दिव्यता और भव्यता प्रदान कर रहा है।
महाकुंभ 2025 केवल एक मेला नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा, संस्कृति और आधुनिकता का वह संगम है, जहां सनातन धर्म अपनी पूरी भव्यता के साथ प्रकट होता है।