पत्नी को जलाने के आरोप में 12 साल जेल में रहा, सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी को जलाने के आरोप में 12 साल से जेल में बंद तमिलनाडु के एक व्यक्ति को बरी कर दिया है। कोर्ट ने पाया कि महिला के बयानों में गंभीर विरोधाभास था, जिससे आरोपी की दोषसिद्धि संदेह के घेरे में आ गई। अदालत ने यह भी माना कि आरोपी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले, जिससे यह साबित हो सके कि उसने ही हत्या की थी।

महिला के बयानों में विरोधाभास, कोर्ट ने उठाए सवाल

तमिलनाडु के इस मामले में निचली अदालत ने आरोपी को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि महिला ने दो अलग-अलग बयान दिए थे। पहले बयान में उसने कहा था कि खाना बनाते समय आग लग गई थी, लेकिन बाद में मजिस्ट्रेट के सामने उसने आरोप लगाया कि उसके पति ने केरोसिन डालकर उसे जलाया था।

साक्ष्यों की कमी, आरोपी के खिलाफ नहीं मिले ठोस प्रमाण

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि मृतका के मरने से पहले दिए गए बयान अहम होते हैं, लेकिन अगर इनमें विरोधाभास हो, तो केवल इन बयानों के आधार पर दोषसिद्धि नहीं हो सकती।

कोर्ट ने यह भी पाया कि जब महिला को अस्पताल लाया गया था, तो उसके शरीर से केरोसिन की गंध नहीं आ रही थी, जिससे यह साबित नहीं होता कि उसे जलाने के लिए केरोसिन का इस्तेमाल किया गया था। इन सभी पहलुओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को बरी करने का आदेश दिया।

👉 न्यायिक प्रक्रिया में यह मामला महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है, जहां संदेह का लाभ आरोपी को दिया गया और बिना पुख्ता सबूतों के दोषसिद्धि नहीं की गई।

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