
*ऑनलाइन दवा बिक्री का विरोध*
*शासन प्रशासन नहीं रोक पा रही है ऑनलाइन दवाई बिक्री को*
*ऑनलाइन से मंगाई जा रही है नशे की दवाई कर रहे हैं दुरुपयोग*
*नशे की दवाई मंगा कर युवा वर्ग कर रहे हैं ऑनलाइन दवाई का दुरुपयोग*
बेमेतरा : पिछले 7 साल 2018 से ऑनलाइन दवा बिक्री शुरू होने से मेडिकल स्टोर्स से जुड़े लोगों में रोष व्याप्त है. उनका कहना है कि ऑनलाइन दवा विक्री से व्यवसाय पूरा चौपट हो गया है. ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एवं ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने एक बार फिर ऑनलाइन फार्मेसी प्लेटफार्म के संचालन को औषधि एवं प्रशासन सामग्री अधिनियम का उल्लंघन बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है.
*ऑनलाइन दवा बिक्री को बताया अवैध*
ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एवं ड्रगिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव राजीव सिंघल का कहना है “साल 2018 में भारत सरकार ने मरीजों को दवाई की तत्काल उपलब्धता के मद्देनजर यह व्यवस्था शुरू की थी. हालांकि बाद में कोविड संक्रमण पर नियंत्रण होने के बाद केमिस्ट और ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने इस व्यवस्था को वापस लेने की मांग की थी. यह मांग इसलिए भी की गई क्योंकि इस व्यवस्था से अप्रत्यक्ष रूप से औषधि प्रशासन अधिनियम 1940 का उल्लंघन हुआ. इसके अलावा मनचाही दवाई को ऑनलाइन मंगाने के बाद उपयोग करने से गंभीर खतरा बढ़ गया है ।
*स्वास्थ्य एवं राज्य मंत्री अनसूइया पटेल ने 22 जुलाई को राज्यसभा भाषण में ऑनलाइन दवाई के खिलाफ कार्यवाही एवं जांच की बात भी कहीं थी लेकिन अभी तक इस पर कोई अमल नहीं किया गया है*
*केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग*
संगठन का कहना है “इस व्यवस्था के सुधार के लिए जो सुझाव दिए गए थे, उन पर अभी तक अमल नहीं हो पाया. अब जबकि ई-फार्मेसी के संचालन को करीब 7 साल होने को है तो देश के केमिस्ट और ड्रगिस्ट अब इस व्यवस्था के खिलाफ लामबंद हो गए हैं. संगठन ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनसूइया पटेल से इस मामले में कार्रवाई करने की मांग दोहराई है. भारतीय औषधि महानियंत्रक राजीव रघुवंशी के समक्ष भी ज्ञापन के जरिए ई-फार्मेसी की व्यवस्था पर रोक लगाने की मांग की है.”
*दावा – 6 करोड़ लोगों की आजीविका पर संकट*
केमिस्ट एंड ड्रगीस्ट संगठन का मानना है “कुछ चुनिंदा कंपनियों के हाथ में यदि दवा विक्रय की व्यवस्था पहुंच गई तो दवा की कीमतों पर ना तो कोई नियंत्रण रहेगा और ना ही इनकी वैधानिकता पर किसी को जिम्मेदार ठहराया जा सकेगा. इस व्यवस्था के कारण देश के तमाम केमिस्ट और ड्रगिस्ट से जुड़े करीब 6 करोड लोगों के समक्ष भी आजीविका का संकट खड़ा होगा. यही वजह है कि अब ई फार्मेसी जैसी व्यवस्था पर रोक लगाने की मांग तेज हो रही है
अगर इस पर अविलंब संज्ञान नहीं लिया गया तो केमिस्ट संगठन द्वारा धरना प्रदर्शन की तैयारी की जाएगी.”