
रायगढ़ । मेडिकल कॉलेज रायगढ़ की जमीन अब तक पूरी तरह खाली नहीं हो सकी है, वहीं कॉलेज गेट के ठीक सामने तेजी से निजी निर्माण कार्य जारी हैं। कॉलेज की बाउंड्रीवॉल और मुख्य सड़क के बीच की निजी भूमि पर बिल्डिंग निर्माण की अनुमति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले दिनों में इस इलाके में कई बहुमंजिला इमारतें खड़ी हो सकती हैं, जिससे कॉलेज का मूल स्वरूप और पहुंच व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
जानकारी के अनुसार, मेडिकल कॉलेज के लिए प्रारंभिक तौर पर लोहरसिंग में जमीन तय की गई थी, लेकिन बाद में इसे बदलकर बड़े अतरमुड़ा के पहाड़ के नीचे स्थानांतरित कर दिया गया। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यह बदलाव कुछ प्रभावशाली लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया था। जिस जमीन की कीमत पहले बहुत कम थी, अब वहां करोड़ों रुपये के दामों में प्लॉट बिक रहे हैं।
कॉलेज की बाउंड्रीवॉल और सड़क के बीच स्थित निजी भूमि का डायवर्सन पहले रद्द कर दिया गया था ताकि सरकार उसका अधिग्रहण कर सके, लेकिन मुआवजे की राशि को लेकर सहमति नहीं बन पाई। अब उसी जमीन पर कॉलोनी, कॉम्प्लेक्स और होटल खड़े हो रहे हैं।
वर्तमान में कॉलेज और हॉस्पिटल के लिए दो गेट बनाए गए थे, जो सड़क की ओर खुलते थे, परंतु निजी जमीन विवाद के कारण दोनों गेट बंद कर दिए गए हैं। अब छात्रों और मरीजों के लिए एक ही एंट्री बची है, जिससे आवागमन में परेशानी हो रही है।
इधर, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से मिली मंजूरी के बाद निजी जमीनों पर तेजी से निर्माण कार्य हो रहा है। रोड किनारे कई दवा एजेंसियों, डॉक्टरों और व्यवसायियों ने प्लॉट खरीद लिए हैं। कई जगहों पर ठेले, गुमटियां और यहां तक कि एक मंदिर बनाकर अतिक्रमण किया गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन ने कई बार अवैध कब्जों को हटाया, लेकिन कुछ ही दिनों में लोग फिर से उसी जगह पर काबिज हो जाते हैं। कॉलेज क्षेत्र के सामने हो रहे इन निर्माणों से मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा, यातायात और सौंदर्य पर गंभीर असर पड़ रहा है।












