
स्कूलों में ताले, कहीं शिक्षक मौजूद तो छात्र नदारद
रायगढ़/ छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के बैनर तले 11 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश भर में चल रही हड़ताल का जिले में भीअसर दिखने लगा है आज दिनांक मगलवार को जिले में भी व्यापक असर दिखा आलम यह है कीसमय निकल कर जिले के दूर दराज से किसी न किसी विभाग में सरकारी काम के लिए पहुंच रहे लोग खाली हाथ मायूस होकर वापस लौट रहे है हड़ताल के चलते अधिकांश शासकीय कार्यालयों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा, वहीं इसका सीधा असर स्कूलों की व्यवस्था पर भी पड़ा। कई स्कूलों में ताले लटके नजर आए, जबकि कुछ स्कूलों में शिक्षक तो उपस्थित रहे, लेकिन छात्र उपस्थिति भी ना के बराबर रही। दैनिक वेतनभोगी कर्मियों के भरोसे चलता दिखाई दिया।फेडरेशन द्वारा पूर्व में कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन सौंपा गया था, लेकिन मांगों पर ठोस निर्णय नहीं होने से कर्मचारियों-अधिकारियों ने चरणबद्ध आंदोलन को तेज करते हुए हड़ताल का रास्ता अपनाया। हड़ताल के कारण जिला, ब्लॉक और तहसील स्तर के कार्यालयों में फाइलें अटकी रहीं, आम नागरिकों को प्रमाण पत्र, पंजीयन, राजस्व, शिक्षा एवं अन्य जरूरी सेवाओं के लिए भटकना पड़ा।

30 लाख रुपए से अधिक का कार्य पंजीयन विभाग में प्रभावित
विदित हो कि अधिकारी कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से जहां सभी शासकीय कार्यालयों में कुर्सियां खाली रही।तो वही महिला बाल विकास विभाग, अंकेक्षण विभाग सहित पंजीयन कार्यालय के भी इसका असर देखने को मिला।महिला बाल विकास विभाग के माध्यम से संचालित शासन की कई योजनाएं जहां प्रभावित रही।तो वही जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर हितग्राहियों को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी।दूसरी सर्वसामान्य दिनों में जहां भीड़ से गुलजार रहने वाले पंजीयन कार्यालय में भी लोगों का टोटा पड़ा था।विभागीय जानकारी के मुताबिक अगामी तीन दिनों तक चलने वाले इस हड़ताल से लगभग 30 लाख रुपए के उन्हीं कार्य जिले में प्रभावित होने की बात कही जा रही है।
आंदोलन तेज करने की चेतावनी
छत्तीसगढ़ राज्य अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन की 11 सूत्रीय मांगों के समर्थन में 29, 30 और 31 दिसंबर को आंदोलन करेंगे. 31 दिसंबर को एक दिन का सामूहिक अवकाश लेकर रैली निकालते हुए सामूहिक हड़ताल में शामिल होंगे.।फेडरेशन ने स्पष्ट किया है कि यदि शासन द्वारा शीघ्र ही मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा। कर्मचारियों का कहना है कि लंबे समय से लंबित मांगों के कारण वे आर्थिक और मानसिक दबाव में हैं, जबकि शासन स्तर पर आश्वासन के बावजूद ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।
हड़ताल के चलते आमजन को हो रही असुविधा के बीच अब सभी की निगाहें शासन के अगले कदम पर टिकी हैं कि वह कर्मचारियों-अधिकारियों की मांगों पर कब और क्या निर्णय लेता है।



