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पड़ोसियों की दबंगई से पीड़ित आदिवासी महिला को न्याय की तलाश में दर-दर भटक रही है

पत्थलगांव। मामला जशपुर जिले के पथलगाव क्षेत्र का है जहां महिला ने आरोप लगाया है कि पड़ोसियों के द्वारा हम लोग गो को जातिगत गाली-गलौच तो कभी परिवार को ही खत्म कर देने की धमकी देकर उसका मानसिक उत्पीड़न किया जाता है। महिला का कहना है उसने इसे लेकर कर्ह बार पुलिस से गुहार लगाई है परंतु न्याय मिलना तो दूर पुलिस उल्टा उसके मामले को कमजोर करने की कोशिश करने में लगी हुई है। पुलिस से निराश होने के बाद उसने अब महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया है।
उल्लेखनीय है कि मंगलेश्वरी बाई नागवंशी पत्थलगांव के रायगढ़ रोड पर वार्ड क्रं 7 की निवासी है। उन्होंने बताया कि उसके बगल में रहने वाले पड़ोसी आए दिन उसके साथ झगड़ा-झंझट करते रहते हैं। गाली-गलौच और मारपीट की धमकी तो आए दिन का क्रम बन गया है। बात यहीं पर नहीं थमती और उसके साथ जातिगत गाली-गलौच और उसके पूरे परिवार को मार डालने की धमकी भी दी जाती है। महिला ने बताया कि केवल महिलाएं ही नहीं अपितु पड़ोसी के परिवार के पुरूष भी इसमें शामिल होते हैं और एक बार शुरू होने के बाद घंटों तक उसके मानसिक उत्पीड़न का सिलसिला चलता है। उन्होंने बताया कि उसने पुलिस से कई बार मामले की शिकायत की परंतु पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। हर बार उन्हें झूठा करार देकर थाने से भगा दिया जाता रहा। महिला का कहना है कि उनके आदिवासी महिला होने के कारण पुलिस ने इसे कभी गंभीरतापूर्वक नहीं लिया। इसे देखते हुए उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगवाए। उन्हें लगा था कि सीसीटीवी कैमरों को देखते हुए पड़ोसी उनका उत्पीड़न करने की हिम्मत नहीं करेंगे। परंतु इसका भी कोई असर होता नहीं हुआ। सीसीटीवी लगवाने के महज पांच दिन बाद ही परिवार की महिलाओं और पुरूषों ने एक बार फिर उनका उत्पीड़न किया और इसके दूसरे दिन उंचाई पर लगा एक सीसीटीवी कैमरा तोड़ दिया गया वहीं घर में खंभे पर लगा दूसरा सीसीटीवी कैमरा चोरी कर लिया गया। उन्होंने बताया कि इस बार उन्होंने सीसीटीवी फुटेज के साथ दोनों घटनाओं की शिकायत पुलिस से की। इस बार उम्मीद थी कि पुलिस कोई कदम उठाएगी परंतु इस बार भी कहानी वहीं की वहीं रही। इस बार पुलिस ने शिकायत तो रख ली परंतु इसे जांच के नाम पर लटका दिया गया। महिला ने बताया कि उसने अनुविभागीय अधिकारी पुलिस और पुलिस अधीक्षक जशपुर से भी मामले की शिकायत की है परंतु अभी तक मामले में शिकायत भी दर्ज नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि अब उन्होंने मामले को लेकर राज्य महिला आयोग को शिकायत भेजी है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि महिला आयोग उनकी पुकार जरूर सुनेगा।
महिला आरक्षक पर बयान बदलने का आरोप
शिकायतकर्ता महिला ने जांचकर्ता महिला आरक्षक पर उनके वास्तविक बयान की जगह गलत बयान लिखने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि डेढ़ माह तक बार-बार चक्कर लगाने के बाद महिला आरक्षक नीता कुर्रे ने जांच शुरू की परंतु उन्होंने उनके बयान को पूरा लिखने की बजाए केवल चुनिंदा बातें ही लिखीं ताकि मामला खत्म हो जाए। केवल उनके ही नहीं उन्होंने मौके पर उपस्थित रहीं गवाह के बयान में भी यही हरकत की। उन्हांेने आरोप लगाया कि महिला आरक्षक द्वारा गवाह को बरगलाने की भी कोशिश की गई परंतु जब उसने निर्भीकतापूर्वक अपना बयान दर्ज कराना चाहा तो पूरे बयान की जगह केवल चुनिंदा बातें लिखकर मामले को कमजोर करने की कोशिश की गई। शिकायतकर्ता ने बताया कि महिला आरक्षक की इस हरकत से पुलिस और कानून व्यवस्था पर उनका भरोसा और कमजोर हुआ है।
पहले भी हुए हैं विवाद
महिला आरक्षक पर आरोप लगने का यह कोई पहला मामला नहीं है और उन्हें लेकर पहले भी विवाद होते रहे हैं। बताया जाता है कि इसे लेकर स्थानीय लोगों ने भी पुलिस के उच्चाधिकारियों से कई बार शिकायत की है। हाल ही में मीडियाकर्मियों ने भी महिला आरक्षक द्वारा उनके साथ अभद्रता को लेकर पुलिस अधीक्षक से शिकायत की थी। मामले में पुलिस अधीक्षक ने समुचित कार्रवाई का आश्वासन दिया था। परंतु इन शिकयतों से भी महिला आरक्षक ने कोई सबक लिया हो ऐसा प्रतीत नहीं होता।

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