देश में कोरोना महामारी अपने चरम पर पहुंच चुका है. ऐसे में केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा एहतियात के तौर पर लगातार सरकारों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं. लगातार मरने वालों और संक्रमितों की संख्या में वृद्धि हो रही है. ऐसे में कोरोना की चैन को तोड़ने के लिए संभावना जताई जा रही है कि पूरे देश में लॉकडाउन लगाया जा सकता है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा ऐसी किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया गया है. नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि नेशनल लॉकडाउन के ऑप्शन पर भी चर्चा चल रही है. वीके पॉल का बयान इसलिए भी अहम है, क्योंकि वह नेशनल कोविड-19 टास्क फोर्स के हेड हैं. अगर उनके पूरे बयान को देखें तो उन्होंने कहा है कि ताजा हालात को लेकर एडवाइज़री जारी की गई हैं, साथ ही अगर पाबंदियों की बात करें तो अगर सख्त पाबंदियों की ज़रूरत पड़ती हैं, तो हमेशा ऑप्शन पर चर्चा होती है, ऐसे में जिन फैसलों की ज़रूरत पड़ेगी उन्हें लिया जाएगाबुधवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि राज्य सरकारों को पहले ही स्थानीय स्थिति के आधार पर, 10 फीसदी से अधिक पॉजिटिविटी रेट के आधार पर जिलावार पाबंदियां लगाने की सलाह दी गई है. देश में संपूर्ण लॉकडाउन को लेकर तब चर्चा हो रही है, जब कई राज्य अपने यहां पहले ही लॉकडाउन, कर्फ्यू, नाइट कर्फ्यू, वीकेंड लॉकडाउन जैसे कदम उठा चुके हैं. महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, केरल, राजस्थान, कर्नाटक, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा सहित और भी राज्यों में पाबंदियां लागू हैं.वीके पॉल ने कहा, अगर संक्रमण बहुत बढ़ता है तो चेन को तोड़ने के लिए प्रतिबंध लगाया जाता है. लोगों की आवाजाही रोकी जाती है. इस संबंध में 29 अप्रैल को डिटेल में गाइडलाइंस जारी की गई थी. इसमें कहा गया था कि हमें ट्रांसमिशन को रोकना है और जिन इलाकों में संक्रमण दर 10 फीसदी से ज्यादा है, वहां पर राज्य सरकारों को नाइट कर्फ्यू की सलाह दी गई है. राज्य सरकारें फैसला लेंगी. इसके अलावा, सामाजिक, राजनीतिक, खेल, धार्मिक जुटान पर भी पूरी तरह से रोक है.उन्होंने कहा कि इसके अलावा साफ-साफ कहा गया है कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश स्थानीय हालात का आंकलन करें और उस हिसाब से फैसला लें. इस एडवाइजरी के आधार पर राज्य सरकारें फैसला ले रहे हैं. इन गाइडलाइंस के अलावा अगर कुछ और जरूरत पड़ती है तो उन विकल्पों पर भी विचार किया जाता है.देश अभी कोरोना की दूसरी लहर का सामना ही कर रहा है, लेकिन एक्सपर्ट्स तीसरी लहर को लेकर चेतावनी भी दे चुके हैं. भारत सरकार के ही प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने बीते दिन कहा था कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर का आना निश्चित है, हालांकि ये कब आएगी इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि जब दूसरी लहर के दौरान ही देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई, तो तीसरी लहर का मुकाबला कैसे होगा.
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