
रायपुर. कोरोना काल में सबकुछ ठहरा रहा, लेकिन भ्रष्टाचार की रफ्तार नहीं थमी एसीबी के छह माह पहले जारी हुए व्हाटसएप के आंकडे बताते हैं कि इस दौरान थोक में शिकायतें आई, जिनमें से 200 को जांच के दायरे में लिया गया है। सूत्रों का कहना है, एसीबी की जांच रिपोर्ट में फारेस्ट-पीडब्लूडी टॉप पर है, जहां बड़ी योजनाओं में गड़बड़ी करते हुए जवाबदारों ने जमकर कमाई की है।
बजट मिलने के बाद ग्राउंड में होने वाले कामकाज की गुणवत्ता में खेल चला है। राजस्व विभाग में बाबू ने ऊपर के नाम से पैसे मांगे हैं। जमीन संबंधी मामलों में पटवारियों ने डिमांड बढ़ाई है। केस देख-देखकर फाइलें आगे खिसकाने रकम की बोली 20 हजार से लेकर 2 लाख रुपए तक लगाई गई है। कई विभागों के अफसर, बाबू और पटवारी सर्विलांस में दायरे में रखे गए हैं।
एसीबी के अचानक से हरकत में आने के बाद यही माना जा रहा है कि विभागों में भ्रष्टाचार करने और शासकीय योजनाओं में अनियमितताएं करते हुए लाखों इधर-उधर करने वालों की खुफिया तौर पर जासूसी चल रही थी। अब जब पक्के सबूत हाथ लगे, तब एसीबी दोबारा से एक्शन मोड में है। पहले तीन दिन में 26 केस एसीबी ने जो वाट्स एप नंबर जारी किए थे, भ्रष्टाचार और विभागीय गड़बड़ी से जुड़े 26 केस पहले दिन पहुंचे थे। संबंधित पक्षकारों ने नाम न उजागर करने की शर्त पर शिकायतें कीं। गंभीर किस्म के मामले में सीधे विभागों को पत्र लिखा गया। अब शिकायतें थोक में हैं, जिनमें से 200 को जांच के दायरे में लिया गया है। दिसंबर से वाट्स एप नंबर एक्टिव एसीबी ने शिकायतें दर्ज कराने वाट्स एप नंबर 8827461064 जारी किया गया है। यह नंबर दिसंबर महीने में लांच किया गया। एक करीबी अफसर के अनुसार पिछले ढाई से तीन महीने में दो सौ से ज्यादा प्रकरण एक्टिव केस में रखे गए हैं, जिसमें एसीबी ने मामले की गंभीरता देखकर इसमें जांच शुरू की है। शिकायत मिलने पर जांच-कार्रवाई अभी तक जो जिन-जिन की शिकायतें मिली हैं, सबूतों के आधार पर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। आगे भी साक्ष्यों के आधार पर छानबीन होगी। अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतें आने पर टीमें जांच कर रही हैं।