अयोध्या का वीर सपूत लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी सिक्किम में शहीद, साथी को बचाते हुए गंवाई जान

22 वर्षीय अधिकारी के अंतिम दर्शन शुक्रवार शाम, शनिवार को होगा राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

अयोध्या के मझवां गद्दोपुर गांव का बेटा लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी देश सेवा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गया। सिक्किम में ऑपरेशनल पेट्रोलिंग के दौरान एक साथी जवान के नदी में बहने पर शशांक ने बिना हिचकिचाए अपनी जान की परवाह किए बगैर उसे बचाने के लिए छलांग लगा दी। साथी को सुरक्षित बाहर निकालने में सफल रहे शशांक खुद पानी के तेज बहाव की चपेट में आ गए और देश के लिए शहीद हो गए।

22 वर्षीय लेफ्टिनेंट शशांक का पार्थिव शरीर शुक्रवार की शाम अयोध्या लाया जाएगा। शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ जमथरा घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। शशांक अपने परिवार के इकलौते बेटे थे। उनका चयन 2019 में एनडीए के लिए हुआ था और बीते वर्ष कमीशन मिलने के बाद पहली पोस्टिंग सिक्किम में मिली थी।

शशांक के पिता, जंग बहादुर तिवारी, मर्चेंट नेवी में कार्यरत हैं और फिलहाल अमेरिका में तैनात हैं। बेटे के शहीद होने की सूचना मिलते ही वे भारत के लिए रवाना हो गए हैं और उनके शुक्रवार शाम या शनिवार सुबह तक अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है।

परिवार इस समय गहरे शोक में डूबा हुआ है। शशांक की मां नीता तिवारी हृदय रोग से पीड़ित हैं और उनकी तबीयत अक्सर खराब रहती है, इसलिए परिजनों ने अभी तक उन्हें यह दुखद खबर नहीं दी है। शशांक की बहन, जो दुबई में रहती हैं, इस समय अयोध्या में मौजूद हैं। परिवार ने निर्णय लिया है कि पिता के आने के बाद ही मां को यह सूचना दी जाएगी।

शशांक के मामा राजेश दुबे ने बताया कि वह बचपन से ही देश सेवा के लिए समर्पित था। प्रारंभिक शिक्षा अयोध्या के जिंगल बेल स्कूल से पूरी करने के बाद उसने जेबीए एकेडमी से इंटर पास किया और 2019 में एनडीए में चयनित हुआ।

लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी की शहादत पर पूरे गांव और जिले में शोक की लहर है। उनका साहस और बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा।

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