रक्षा बंधन से पहले सामने आई प्रेम की अनूठी मिसाल, दो बहनों ने लिवर डोनेट कर बचाई छोटे भाई की जान

रक्षा बंधन से एक दिन पहले भाई और बहन के अटूट स्नेह की एक अनोखी मिसाल देखने को मिली है, जहां लिवर के काम नहीं करने की वजह से गंभीर रूप से बीमार 14 साल के एक किशोर को उसकी दो बड़ी बहनों ने अपने अंगदान करके नया जीवन दिया है। डॉक्टरों ने शनिवार को इस चुनौतीपूर्ण ट्रांसप्लांट सर्जरी के बारे में जानकारी दी।

उत्तर प्रदेश के बदायूं के रहने वाले अक्षत की गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में पिछले दिनों सर्जरी हुई थी और अस्पताल के अधिकारियों ने दावा किया कि यह किसी बच्चे में देश का पहला ऐसा लिवर ट्रांसप्लांट है, जिसमें दो लोगों ने अंगदान किया है।

राखी के त्योहार से एक दिन पहले अक्षत और उसकी बहनों नेहा (29) तथा प्रेरणा (22) ने मीडिया से बातचीत में अपनी भावनाएं साझा कीं। इस दौरान मेदांता अस्पताल के कुछ डॉक्टर भी मौजूद थे, जहां जुलाई महीने में यह सर्जरी हुई थी।

अस्पताल ने एक बयान में कहा कि रोगी करीब एक महीने पहले ही जीवन के लिए संघर्ष कर रहा था। वह लिवर के काम नहीं करने की वजह से गंभीर रूप से बीमार था और उसे गंभीर पीलिया हो गया था। वह कौमा से पूर्व की स्थिति में था। रोगी का वजन 92 किलोग्राम होने के कारण यह मामला और जटिल हो गया था।

अक्षत की दोनों बहनों का वजन अपेक्षाकृत कम है, इसलिए उसे दोनों बहनों के आधे-आधे लीवर की जरूरत थी। अब अक्षत का वजन 65 किलोग्राम है। डॉक्टरों का दावा है कि वह और उसकी बहनें सर्जरी के बाद तेजी से स्वस्थ हो रहे हैं और करीब एक महीने बाद अब सामान्य जीवन जी रहे हैं।

मेदांता लिवर ट्रांसप्लांट संस्थान के चेयरमैन और इस मामले में प्रमुख सर्जन डॉ. अरविंदर सोइन ने कहा कि गंभीर हालत वाले बीमार बच्चे की इस तरह की पहली सर्जरी के लिए तीनों भाई-बहनों को एक साथ ऑपरेशन टेबल पर ले जाना न केवल टीम के लिए बल्कि माता-पिता के लिए भी बहुत कठिन था।

मेदांता अस्पताल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. नरेश त्रेहन ने एक बयान में कहा कि रक्षा बंधन के मौके पर इन भाई-बहनों की कहानी जरूर खुश कर देगी। यह जीवन बचाने के लिए अंगदान की शक्ति का एक अनूठा उदाहरण है। यह इस बात की ओर ध्यान आकर्षित करता है कि कोई भी स्वस्थ व्यक्ति बिना किसी नुकसान के अपना आधा लिवर या एक किडनी दान करके किसी प्रियजन की जान बचा सकता है।

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