
Navratri 2022: नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की ऐसे करें पूजा, जानें मंत्र, आरती, पूजा विधि और व्रत कथा
Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि पर मां के छठे रूप की पूजा की जाती है. इस रूप को मां कात्यायनी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि मां की पूजा करने से सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. साथ ही सभी कष्टों से मुक्ति भी मिल जाती है. ऐसे में कात्यायनी मां की आरती पूजा विधि, व्रत कथा और मंत्रों के बारे में पता होना जरूरी है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि कात्यायनी मां की पूजा कैसे की जाए. पढ़ते हैं आगे…
मां कात्यायनी की पूजा विधि
सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं. अब गणपति बप्पा की पूजा करके देवी की तस्वीर की स्थापना करें और मंत्रों का जाप करें. अब लाल वस्त्र, हल्दी, पीले फूल, फल, नैवेद्य आदि चढ़ाएं और व्रत कथा पढ़कर आरती करें.
मां कात्यायनी की कथा
महर्षि कात्यायन ने देवी आदिशक्ति की तपस्या कर उन्हें पुत्री के रूप में प्राप्त किया. देवी का जन्म महर्षि कात्यायन के आश्रम में हुआ इसलिए उन्हें कात्यायनी पुकारा जाने लगा. उस समय महिषासुर नाम के राक्षस ने आतंक मचाया था. सभी देवी देवता घोर संकट में आ गए. मां ने ऋषि कात्यायन के घर अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन जन्म लिया था, जिसके बाद ऋषि कात्यायन ने 3 दिनों की पूजा की थी. मां ने महिषासुर का अंत किया. इधर शुंभ निशुंभ ने भी स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर इंद्र का सिंहासन छीन लिया. साथ ही नवग्रहों को बंधक बना लिय. जब अग्नि और वायु का बल भी छीन लिया तो देवताओं ने देवी की शरण ली. तब देवी ने सभी असुरों का वध किया और आतंक से मुक्ति दिलाई.
मां कात्यायनी की स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
मां कात्यायनी बीज मंत्र
क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम
ओम देवी कात्यायन्यै नमः॥
एत्तते वदनम साओमयम् लोचन त्रय भूषितम।
पातु नः सर्वभितिभ्य, कात्यायनी नमोस्तुते।।
मां कात्यायनी की आरती/Maa Katyayani Ki Aarti
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकार।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।