Chhattisgarh: कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई में हुए नुकसान को दूर करने की कवायद, सरकार ने उठाया ये कदम

छत्तीसगढ़ राज्य के स्कूलों में विद्यार्थियों की पढ़ाई-लिखाई में हुई क्षति को दूर कर उनकी उपलब्धि में 2022 तक सुधार लाने के लिए 1 मार्च से 14 मई तक विशेष अभियान संचालित किया जाएगा. स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कहा है कि राज्य में लम्बी अवधि तक स्कूलों के लॉकडाउन होने से बच्चों की उपलब्धि काफी प्रभावित हुई है. इस बात की जानकारी सर्वे में स्पष्ट रूप से सामने आई है.

अधिकारी ने बताया कि बच्चों की उपलब्धि में सुधार के लिए शिक्षकों, पालकों और विद्यार्थियों को साथ लेकर इस दिशा में स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर यह विशेष अभियान शुरू किया जा रहा है. इस अभियान के संचालन की जिम्मेदारी विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों को सौंपी गई है. उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारियों को बच्चों के उपलब्धि सुधार के विशेष अभियान की सघन मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं.

बेहतर कार्य करने पर अधिकारियों को सम्मनित किया जाएगा

शिक्षा सचिव ने कहा है कि इस कार्यक्रम की प्रभाविता के लिए बाह्य एजेंसी द्वारा बच्चों को मिले लाभ और पालकों की बच्चों की शिक्षा में सहभागिता, टेली-प्रेक्टिज के उपयोग आदि को लेकर एक वृहद बाह्य मूल्यांकन किया जाएगा. इस बाह्य मूल्यांकन के परिणाम का उपयोग विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों के परफॉर्मेंस ग्रेडिंग के आंकलन के लिए किया जाएगा. इस दिशा में बेहतर और नवाचारी कार्य कर रहे विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों को सम्मानित किया जाएगा. इस पूरे अभियान के विभिन्न स्तरों तक सप्ताहिक समीक्षा की व्यवस्था की जाएगी. राज्य और जिला स्तर से प्रभारी अधिकारी अपने-अपने जिले, विकासखण्ड में इस कार्यक्रम की नियमित समीक्षा और क्रियावन्यन के लिए जिम्मेदार होंगे.

जिला और विकासखंड शिक्षा अधिकारी को दी गई जिम्मेदारी

स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जिला विकासखण्ड और संकुल स्तर पर शिक्षकों, शाला प्रबंधन समिति और पालकों के साथ प्रत्यक्ष और ऑनलाइन वेबीनारों का आयोजन कर इस अवधि का बेहतर उपयोग किए जाने के लिए कोरोना लॉकडाउन से बच्चों में हुए सीखने के नुकसान, लॉकडाउन के दौरान बच्चों के दिनचर्या और व्यवहार में बदलाव, स्कूलों में बच्चों के सीखने में हुए नुकसान की भरपाई के लिए विशेष कार्यक्रम के लिए सुझाव, समुदाय और पालकों की ओर से बच्चों के सीखने में सहयोग के लिए प्रस्ताव और ब्रेन स्टोर्मिंग कर निर्णय लिया जाए.

‘पढ़ाई तुंहर दुआर पार्ट 2’ के तहत बच्चो के लिए होगा कार्यक्रम

‘पढ़ाई तुंहर दुआर पार्ट 2’ के अंतर्गत इस अविध में बच्चों की लर्निंग रिकव्हरी के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को डिजाईन करने की जिम्मेदारी राज्य के सभी विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों को दिया जाना प्रस्तावित है. उनके द्वारा राज्य स्तर से निर्धारित कुछ विशेष कार्यक्रमों के साथ-साथ विकासखण्ड स्तर पर भी स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर विशेष योजना बनाकर क्रियान्वयन किए जाने का अवसर दिया जाएगा. 1 मार्च से 14 मई तक के अवधि में बच्चों के आंकलन के बदले उनके सीखने पर फोकस किया जाएगा. उन्हें एक-दूसरे से सीखने के लिए पर्याप्त अवसर दिए जाएंगे. इस अवधि में उपस्थित अनिवार्य नहीं होगी पर सभी बच्चों को इन विशेष कक्षाओं में नियमित उपस्थित होने के लिए बच्चों और पालकों को प्रोत्साहित किया जाएगा.

समूह बनाकर बच्चों को पढ़ाई के माहौल में ढाला जाएगा

कक्षा संचालन का समय भी शाला प्रबंधन समिति और पालकों के अभिमत के आधार पर तय किया जाएगा. पढ़ाई में सहयोग के लिए पूर्व की भांति समुदाय से शिक्षा सारथी के रूप में सहयोग प्रदान किया जाएगा. बच्चों को एक दूसरे से सीखने, छोटे-छोटे समूह में बैठकर सीखने पर जोर दिया जाएगा. पालकों को भी शाला अवधि के अलावा घर पर भी पढ़ाई में ध्यान देने के लिए आवश्यक माहौल बनाया जाएगा.

राज्य में एनआईसी के सहयोग से विकसित टेली-प्रैक्टिस के माध्यम से अधिक से अधिक ऐसे बच्चों को शामिल किया जाएगा जिनके पालकों के पास स्मार्ट फोन है, ताकि उन्हें घर पर रहकर टेक्नोलॉजी का उपयोग कर अभ्यास करने का अवसर उपलब्ध कराया जा सके. टेली-प्रैक्टिस का उपयोग अभ्यास के साथ-साथ बच्चों के आंकलन के लिए भी किया जा सकेगा.

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