द्रौपदी मुर्मू के गाँव में आज तक नहीं पहुंची बिजली, मोबाइल चार्ज करने दूसरे गाँव जाते हैं लोग

नई दिल्ली: NDA की राष्ट्रपति प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के पैतृक गांव मयूरभंज जिले के डूंगुरशाही में बिजली पहुंचाने की तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं। बता दें कि डूंगुरशाही में लगभग 20 परिवार रहते हैं। यह गांव रायरंगपुर से 20 किमी दूर कुसुमी ब्लॉक के उपरबेड़ा गांव के अंतर्गत आता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उपरबेड़ा गांव में दो गांव बदाशाही और डूंगुरशाही आते हैं, जिसकी आबादी लगभग 3,500 है।

गांव में बिजली का प्रबंध न होने के कारण यह लोग रात में केरोसिन जलाकर रोशनी करते हैं। वहीं रात में यदि किसी आवश्यक काम से बाहर जाना पड़ जाए, तो मोबाइल की टॉर्च का उपयोग करते हैं। बिजली न होने के कारण लोगों को मोबाइल चार्ज करने के लिए दूसरे कस्बे में जाना पड़ता है। द्रौपदी मुर्मू, ओडिशा से आने वाली महिला आदिवासी नेता हैं। झारखंड की नौंवी गवर्नर रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर से MLA भी रह चुकी हैं। वह पहली ओडिया नेता हैं, जिन्हें राज्यपाल नियुक्त किया गया। इससे पहले BJP-BJD गठबंधन सरकार में साल 2002 से 2004 तक मुर्मू कैबिनेट मंत्री भी रह चुकी हैं।

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के अंतर्गत आने वाले ऊपरबेड़ा गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। वह आदिवासी संथाल परिवार से आती हैं। द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू के साथ हुआ था। दो बेटे और एक बेटी हुई, मगर शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने पति और अपने दोनों बेटों को खो दिया। हालांकि, द्रौपदी ने कभी भी जिंदगी की मुश्किलों के सामने हार नहीं मानी और सभी बाधाओं को पार करते हुए उन्होंने भुवनेश्वर के रामादेवी महिला कॉलेज से आर्ट्स में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।

इसके बाद उन्होंने ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में एक जूनियर असिस्टेंट, यानी क्लर्क के तौर पर काम किया। बाद में, उन्होंने रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में मानद सहायक शिक्षक पद पर भी नौकरी की। उनकी बेटी इतिश्री की शादी गणेश हेम्ब्रम के साथ हुई है।

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