Corona मरीजों के लीवर में पस भरने के हैरान करने वाले मामले आ रहे सामने

नई दिल्ली: अप्रैल-मई 2021 में, Covid-19 की दूसरी लहर के दौरान कोरोना मरीज कुछ असामान्य परेशानियों के साथ सर गंगा राम अस्पताल पहुंचे. पिछले दो महीनों में कोविड-19 संक्रमण से उबरने के बाद 14 मरीजों में असामान्य रूप से बड़े और पस से भरे हुए लीवर (Liver) के फोड़े देखे गए. लीवर में पस से भरा हुआ फोड़ा आमतौर पर ‘एंटअमीबा हिस्टोलिटिका’ नामक परजीवी के कारण होता है जो दूषित भोजन और पानी से फैलता है.

प्रोफेसर अनिल अरोड़ा, चेयरमैन, इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड पैन्क्रियाटिक बिलारी साइंसेज, सर गंगा राम अस्पताल के अनुसार, ‘हमने देखा कि मरीजों में कोविड से 22 दिन के अंदर ठीक होने के बाद जो इम्यूनो कम्पीटेंट थे, उनके लीवर के दोनों हिस्से बहुत ज्यादा मवाद से भरे हुए थे, जिन्हें तुरंत ड्रेनेज और अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता थी.’

ये मरीज 28-74 वर्ष की आयु वर्ग के थे, जिनमें दस पुरुष और चार महिलाएं थीं. सभी मरीजों को बुखार और पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द था और 3 मरीजों को काले रंग के मल के साथ ब्लीडिंग की भी शिकायत हुई. इनमें से आठ मरीजों ने कोरोना से बचाव के लिए स्टेरॉयड लिए थे. छह मरीजों में लीवर के दोनों तरफ कई बड़े फोड़े थे, जिनमें से 5 मरीजों में बड़े फोड़े (8 से.मी.) थे, जिनमें से सबसे बड़ा 19 से.मी. आकार था.

स्टूल में खून आने वाले तीन मरीजों ने बड़ी आंत में अल्सर दिखाया जो कोलोनोस्कोपी (एक कैमरे के माध्यम से बड़ी आंत को देखा गया) द्वारा पता लगाया गया था. COVID-19 के लक्षणों और लीवर के फोड़े के निदान के बीच का औसत समय 22 दिन था. 14 में से 13 रोगियों का एंटीबायोटिक दवाओं, मेट्रोनिडाजोल दवाओं और लीवर से मवाद की निकासी के साथ सफलतापूर्वक इलाज किया गया था, जबकि बड़े फोड़े वाले एक रोगी की abdominal cavity में मवाद के फटने के बाद पेट में भारी ब्लीडिंग की वजह से मौत हो गई. बाकी मरीज स्थिर हैं और उन्हें छुट्टी दे दी गई है.

प्रो. अनिल अरोड़ा ने यह भी कहा कि ‘हमारे मरीजों में हमें कई और बड़े फोड़े मिले जो एक इम्यूनो कम्पीटेंट व्यक्ति के लिए बहुत ही असामान्य है. हमारा मानना है कि कोविड-19 संक्रमण द्वारा इम्यूनिटी के दमन के साथ-साथ कोविड संक्रमण के इलाज के लिए स्टेरॉयड का उपयोग और इस महामारी में कोविड से स्वस्थ होने वाले मरीजों में लीवर के फोड़े के लिए संदेह, और इलाज में देरी के कारण संभवतः इन रोगियों को कई बड़े फोड़े हुए.’

एंटअमीबा हिस्टोलिटिका, खराब हाईजीन वाले देशों में पनपने वाला बैक्टीरिया है. यह अमीबियासिस का कारण बनता है, एक आंतों का संक्रमण जिसे अमीबिक पेचिश भी कहा जाता है. संक्रमण होने के बाद, Parasitic blood flow द्वारा आंतों से लीवर तक पहुंच सकता है और लीवर के फोड़े का कारण बनता है. आम तौर पर ये फोड़े अकेले होते हैं और बहुत बड़े नहीं होते हैं. इतने बड़े साइज में और लीवर में कोविड की वजह से कई फोड़े होना असामान्य और चिंता का विषय है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button