छत्तीसगढ़ में शराबबंदी का यह कैसा प्रयास

लैलूंगा/ एक तरफ छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार जहाँ शराबबंदी के लिए संकल्प ली हुई है और उस दिशा में काम करने की बात कहती है,वहीं नगर पंचायत लैलूंगा में शराब दुकान संचालित करने से सबंधित समस्त नियमों को ताक पर रखते हुए शराब दुकान का संचालन किया जा रहा है।स्वयं देश की सर्वोच्च न्यायालय ने शराब दुकान संचालन के विषय मे आदेश/गाइडलाइन जारी करते हुए कहा है कि किसी भी राष्ट्रीय/राजकीय मार्ग से शराब दुकान की न्यूनतम दूरी कम से कम 500 मीटर होनी चाहिये,शराब दुकान को इंगित करता,कोई साइन बोर्ड नही लगानी है।जिसके किसी भी गाइडलाइन का पालन न करते हुए लैलूंगा में बकायदा साइन बोर्ड लगाकर राजकीय मार्ग के किनारे ही व्यस्तम सड़क पर न सिर्फ शराब दुकान का संचालन किया जा रहा है।वहां बैठकर शराबखोरी करने की सुविधा भी मुहैया कराई जा रही है,शराब दुकान के अगल बगल दोनों तरफ छोटे छोटे ढाबे/चखना सेंटर खुला हुआ है,जिसमे सुबह 10 बजे से रात के12 बजे तक बकायदा शराब पिलाई जा रही है ।
यहाँ यह बताना लाजमी होगा कि शराब दुकान का संचालन लैलूंगा के कांग्रेस नेता के काम्प्लेक्स में किया जा रहा है जो स्वयं नगर के प्रथम अध्यक्ष रह चुके हैं,और उनकी पहुंच का अंदाजा इसी बात से लगया जा सकता है कि जिस मापदंड पर शराब दुकान खोलने जगह से सम्बंधित निविदा निकाली गई थी एवं जिसकी जो अहर्ताएं थी जिसके पूरे नही होने पर अन्य जगहों का निरस्त किया गया था वहीं इनकी निविदा स्वीकार कर ली गई ।जैसे शराब दुकान भीड़ भाड़ से दूर होनी चाहिए,मुख्यमार्ग पर शराब दुकान नही होनी चाहिए,जिससे कि दुर्घटना की आशंका हो, दुकान की छत पक्की ढलाई वाली होनी चाहिए,इन सब मे से किसी भी नियम का पालन न करते हुए इनकी पहुंच से बेबस होकर या फिर आबकारी विभाग के द्वारा अपना हित साधते हुए शराब दुकान के लिये जगह आबंटित कर दिया गया।जिससे कि इनकी काम्प्लेक्स में चार चांद लगया जा सके,वहां की रौनक बढाई जा सके।
यह सड़क न केवल राजकीय मार्ग है अपितु यह लैलूंगा की मुख्य मार्ग है जिससे होकर प्रतिदिन छात्र छात्राएं कालेज ,स्कूल आई टी आई में अध्ययन करने जाते हैं,विशेषकर छात्राओं को उस समय भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है जब वहां चखना दुकानों पर खड़े शराबी भद्दे भद्दे कमेंट करते हैं ।
और तो और यहाँ पुलिस प्रशासन भी ढाबों से अपना कमीशन लेकर आंखे बंद किये हुए है या यूं कहें इनको संरक्षण प्रदान कर रहे हैं।
शराब दुकान से लगे खेतों में बोतलों को फेंका जा रहा है जिससे कि वहां के किसान अब वहां खेती करना नही चाह रहे हैं ।जिस फसल की सुंदरता देखने कभी जिले की कलेक्टर स्वयं आई थी और किसानों की तारीफ करते हुए उन्हें प्रोत्साहित की थी।

अब यह देखना लाजिमी होगा कि यह वर्ष चुनावी वर्ष है और भाजपा जहां शराबबंदी के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरती रही है।तो क्या ऐसे में सरकार इस दिशा में कोई सार्थक पहल करते हुए उक्त शराब दुकान को बंद या कहीं और स्थानांतरित करती है।

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